
शिमला : हिमाचल प्रदेश के बागबानी इतिहास में वर्ष 2025 एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में दर्ज हो रहा है। प्राकृतिक आपदाओं, लगातार मूसलाधार बारिश, भूस्खलन और सडक़ बंद होने जैसी चुनौतियों के बावजूद राज्य सरकार ने अपनी दूरदर्शी नीतियों, त्वरित निर्णय क्षमता और संवेदनशील नेतृत्व के बल पर न केवल स्थिति को नियंत्रित किया बल्कि बागबानी क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। भूस्खलन और सडक़ों के अवरुद्ध होने के बावजूद वर्ष 2025 का सेब सीजन हिमाचल में बहुत सफल सीजन रहा। राज्य सरकार और बागबानी विभाग ने मिलकर युद्ध स्तर पर सडक़ें बहाल कीं, जिससे बागबान अपनी उपज को समय पर मंडियों तक पहुंचा सके।
हिमाचल प्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड के अनुसार तीन अक्तूबर, 2025 तक कुल 2,60,83,458 सेब पेटियों का कारोबार हुआ जबकि वर्ष 2024 में 1,82,63,874 सेब पेटियों का कारोबार हुआ था। आंकड़े दर्शाते हैं कि इस वर्ष सेब कारोबार में 43 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। दिल्ली की आजादपुर मंडी में हिमाचली सेब की अत्यधिक मांग रही। ए-ग्रेड रॉयल डिलीशियस 2300 रुपए प्रति 20 किलो पेटी और गोल्डन डिलीशियस 1200 रुपए प्रति पेटी बिकी।
इस वर्ष 83,788 मीट्रिक टन सेब की खरीद
मंडी मध्यस्थता योजना के तहत एचपीएमसी द्वारा इस वर्ष 83,788 मीट्रिक टन सेब की रिकॉर्ड खरीद की गई। मंडी मध्यस्थता योजना की यह अब तक की सबसे बड़ी खरीद में से एक है, जिससे बागबानों को राहत मिली। बागबानी मंत्री ने कहा कि सरकार ने बागबानों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। सभी बागबानी क्षेत्रों में सडक़ बहाली कार्य, परिवहन सुविधा और मंडी संचालन में सरकार की तत्परता से बागबानों को उनकी उपज का समय पर और उचित मूल्य मिला।
प्रदेश को 25 करोड़ की पहली किस्त मिली
एकीकृत बागबानी विकास मिशन के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश को 25 करोड़ रुपए की पहली किस्त प्राप्त हुई। इसमें 22.50 करोड़ रुपए केंद्र सरकार का अंश एवं 2.50 करोड़ रुपए राज्य सरकार का हिस्सा है। इस राशि में से 14.50 रुपए करोड़ रुपए किसानों को विभिन्न घटकों जैसे फलों, सब्जियों, मसालों एव फूलों का क्षेत्र विस्तार, मशरूम उत्पादन, संरक्षित खेती (ग्रीन/पॉलीहाउस), एंटीहेल नेट, फार्म गेट पैक हाउस, कोल्ड स्टोरेज और फूड प्रोसेसिंग ईकाइयों के लिए वितरित किए गए।





