धर्मशाला।
हिमाचल फेडरेशन ऑफ होटल्स एंड रेस्टोरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अश्विनी बंबा कहते हैं कि, “आगामी बजट से हम बहुत आशान्वित हैं क्योंकि पिछले 2 वर्षों में कोविड -19 के कारण पर्यटन उद्योग सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि सरकार को होटल उद्योग को इन्फ्रास्ट्रक्चर उद्योग का दर्जा और उसे समान सुविधाएं दी जानी चाहिए। दूसरा, हम सरकार से उम्मीद कर रहे है कि वह हमें कम ब्याज वित्त प्रदान करे। एक हजार रुपये से कम टैरिफ वाले होटल के कमरों पर कोई जीएसटी नहीं है जिसे बढ़ा कर 2 हजार किया जाना चाहिए। ताकि पर्यटक बढ़े और अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में मदद मिले।
मैकलोडगंज के एक होटल व्यवसायी आशीष मिश्रा का कहना है कि “हिमाचल प्रदेश में पर्यटन उद्योग मुख्य उद्योग है और कोविड ने इस क्षेत्र को तबाह कर दिया है। जहां तक आगामी बजट का सवाल है, हमें उम्मीद है कि सरकार हम पर ध्यान देगी। पर्यटन उद्योग की तरह है। एक श्रृंखला है, व्यापार, टैक्सी ऑपरेटर, दुकानदार, होटल सभी एक-दूसरे पर निर्भर हैं और हर एक प्रभावित है। इसलिए सबसे पहले मुझे उम्मीद है कि सरकार टैक्स स्लैब में राहत देगी और पर्यटन उद्योग को एक विशेष पैकेज देगी ताकि कोरोना की मार झेल रहे पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों को लाभ हो सके। ”
दिल्ली के एक पर्यटक पवन वर्मा कहते हैं कि, “मुझे लगता है कि लोग कोविड-19 से डरते हैं और बहुत कम पर्यटक यहां आ रहे हैं। सरकार ऐसी योजना लाए जिससे पर्यटकों को यहां आने के लिए प्रोत्साहित किया जाए और फिर बहुत से लोगों को लाभ होगा। पर्यटक हमारी अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और सरकार को पर्यटन क्षेत्र के पुनऊद्धार के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे। दूसरी बात सरकार को करों में भी छूट देनी चाहिए।”
दिल्ली के एक पर्यटक रविंदर कुमार कहते हैं कि, कोरोना काल ने लोगों की कमर तोड़ कर रख दी है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति के पास जब अतिरिक्त पैसा बचता है तभी वह घूमने फिरने के लिए निकलते हैं। उनका कहना है कि पर्यटकों को अतिरिक्त 28 से 30 प्रतिशत करो का भुगतान करना पड़ रहा है, इसलिए सरकार को करों में कुछ छूट देनी चाहिए। इससे निश्चित रूप से पर्यटन क्षेत्र को प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी।