
#खबर अभी अभी सोलन ब्यूरो*
18 जुलाई 2024
मुहर्रम गम और मातम का महीना है, जिसे इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग मनाते हैं। मुहर्रम इस्लाम धर्म का पहला महीना होता है। यानी मुहर्रम इस्लाम के नए साल या हिजरी सन् का शुरुआती महीना है। मुहर्रम बकरीद के पर्व के 20 दिनों के बाद मनाया जाता है। इस्लाम धर्म के लोगों के लिए यह महीना बहुत अहम होता है, क्योंकि इसी महीने में हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी। हजरत इमाम हुसैन इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद साहब के छोटे नवासे थे। उनकी शहादत की याद में मुहर्रम के महीने के दसवें दिन को लोग मातम के तौर पर मनाते हैं, जिसे आशूरा भी कहा जाता है।
इस्लाम धर्म की मान्यता के मुताबिक, हजरत इमाम हुसैन अपने 72 साथियों के साथ मोहर्रम माह के 10वें दिन कर्बला के मैदान में शहीद हो गए थे। उनकी शहादत और कुर्बानी के तौर पर इस दिन को याद किया जाता है। कहा जाता है कि इराक में यजीद नाम का जालिम बादशाह था, जो इंसानियत का दुश्मन था। यजीद को अल्लाह पर विश्वास नहीं था। यजीद चाहता था कि हजरत इमाम हुसैन भी उनके खेमे में शामिल हो जाएं। हालांकि इमाम साहब को यह मंजूर न था। उन्होंने बादशाह यजीद के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया। इस जंग में वह अपने बेटे, घरवाले और अन्य साथियों के साथ शहीद हो गए।





