
हिमाचल प्रदेश में वन भूमि पर जीवन निर्वाह करने वाले लोगों को वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) 2006 के तहत वन अधिकार पट्टे मिलेंगे, लेकिन इन्हें बेचने का अधिकार नहीं होगा। इस जमीन पर खेती, बागवानी और पशुपालन कर लोग आजीविका कमा सकेंगे। सरकार ने पट्टे देने के लिए कसरत शुरू कर दी है। जून में दावे मांगे जाएंगे और नवंबर में वन अधिकार पट्टे वितरित किए जाएंगे। ऐसे लोगों को भूमि का अधिकार मिलेगा जिनकी 13 दिसंबर, 2005 से पहले कम से कम तीन पीढ़ियां वन भूमि पर रह रही हैं और आजीविका के लिए वन भूमि पर निर्भर हैं। इसी माह उपमंडल स्तरीय, जिला स्तरीय, ग्रामीण स्तरीय वन अधिकार समिति, वन, राजस्व और पंचायती राज विभाग के अधिकारियों क लेकर दिशा-निर्देश दिए जाएंगे।
सितंबर में होगी जांच
हेल्पलाइन नंबर जारी होगा
सरकार का मकसद वन भूमि पर अतिक्रमण को बढ़ाया देना नहीं, बल्कि जीवन निर्वाह के लिए इस्तेमाल हो रही भूमिपर हक देना है। पात्र लोगों को नियमों के दायरे में एफआरए का लाभ मिले, इसके लिए समयबद्ध व्यवस्था लागू होगी-जगत सिंह नेगी, राजस्व मंत्री
प्रदेश सरकार ने राजस्व लोक अदालतों का आयोजन कर महज 17 महीनों में 3,25,926 लंबित राजस्व मामले निपटाए हैं। यह जानकारी देते हुए राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने बताया कि 17 माह में 2,75,004 इंतकाल, 16,258 तकसीम, 27,404 निशानदेही और 7,260 दुरूस्ती के मामले निपटाए गए हैं। राजस्व मंत्री ने दावा किया कि राजस्व लोक अदालतें राजस्व मामलों के निवारण में सफल साबित हो रही हैं।हिमाचल के इतिहास में पहली बार आयोजित राजस्व लोक अदालतों के माध्यम से लोगों के राजस्व संबंधी मामलों को हल किया जा रहा है। राजस्व लोक अदालतों के आयोजन सेे लोगों को लंबित राजस्व मामलों के समाधान के लिए सरकारी कार्यालयों के बार-बार चक्कर काटने की समस्या से निजात मिली है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पहली बार अक्तूबर 2023 में राजस्व लोक अदालतों का आयोजन किया गया था। इसके बाद राजस्व लोक अदालतें लंबित राजस्व मामले निपटाने के लिए नियमित अंतराल पर आयोजित की जा रही हैं।





