
भाई-बहन के प्यार का प्रतीक त्योहार भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाई दूज या भैया दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। रक्षा बंधन की तरह यह त्योहार भी भाई-बहन के प्रति एक-दूसरे के स्नेह को दर्शाता है। यह भाई-बहन के प्यार के प्रति का पर्व है। भाई दूज का त्योहार इस साल 23 अक्टूबर को है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन भाई को तिलक करने का शुभ मुहूर्त 23 अक्टूबर को दोपहर 1 बजकर 11 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 28 मिनट तक है।ऐसे में भाई दूज पर तिलक करने के लिए करीब 2 घंटे 15 मिनट का शुभ समय मिलेगा।
रक्षाबंधन की तरह ही भाईदूज का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं। इस दिन भाई के पूजा की थाली सजाएं और इसमें फल, फूल, दीपक, अक्षत, मिठाई और सुपारी आदि चीजें रखें। इसके बाद शुभ मुहूर्त देखकर घी का दीपक जलाकर भाई की आरती करें और तिलक लगाएं। तिलक लगाने के बाद भाई को पान, मिठाई खिलाएं। पौराणिक कथाओं के अनुसार भाई दूज के अवसर पर जब बहनें भाई को तिलक लगाती हैं तो भाई के जीवन पर आने वाले हर प्रकार के संकट का नाश हो जाता है और उसके जीवन में सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। मान्यता यह भी है कि इस दिन बहन के घर भोजन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
भाई दूज क्यों मनाते हैं इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं हैं। उनमें से एक देवी यमुना या यामी और उनके भाई यमराज के बीच की कथा है। कहते हैं देवी यामी अपने भाई यमराज से बहुत प्रेम करती थी। एक बार वे काफी समय से नहीं मिले थे कि अचनाक दिवाली बाद वे यामी से मिलने पहुंच गए। खुशी में यामी ने तमाम तरह के पकवान बनाए और भाई यम के माथे पर तिलक किया। इससे वे बहुत खुश हो गए और उन्होंने यामी से कोई वरदान मांगने को कहा। इस पर यामी ने अपने भाई से कहा कि वे चाहती हैं कि यम हर साल उनसे मिलने आएं और आज के बाद जो भी बहन अपने भाई के माथे पर तिलक करे उसे यमराज का भय न रहे क्योंकि उसकी बहन का प्यार और प्रार्थना भाई की रक्षा करेगा। यमराज ने यामी को ये वरदान दिया और उस दिन से भाई दूज का त्योहार मनाया जाने लगा।





