सरकार का पलटवार : झूठ बोलकर प्रदेश की जनता को गुमराह कर रहे जेपी नड्डा

शिमला | उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान और तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा पर पलटवार करते हुए कहा कि वह झूठ बोलकर हिमाचल प्रदेश की जनता को गुमराह करने का प्रयास न करें। मेडिकल डिवाइस पार्क पर नड्डा के आरोपों को सिरे से नकारते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 350 करोड़ की इस परियोजना को बंद नहीं किया है, बल्कि राज्य सरकार ने खुद इसका निर्माण करने का फैसला लिया है क्योंकि इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार ने 100 करोड़ की आर्थिक सहायता के साथ कई शर्तें जोड़ रखी थीं, जिससे राज्य के संसाधनों का नुकसान होता। प्रदेशवासियों के हितों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने यह फैसला किया है। उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार केंद्र का पैसा वापस नहीं लौटाती, तो उसे उद्योगपतियों को एक रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से भूमि देनी पड़ती। यानी नड्डा जी ने जो मेडिकल डिवाइस पार्क हिमाचल प्रदेश को दिलाया, उसमें परियोजना की 300 एकड़ भूमि मात्र 12 लाख रुपए में उद्योगपतियों को देनी पड़ती, जबकि 300 एकड़ भूमि की आज मार्केट वैल्यू लगभग 500 करोड़ है। ऐसे में 500 करोड़ की भूमि को मात्र 12 लाख में देना क्या प्रदेश हित में है।

नड्डा जी यह बात प्रदेश की जनता को स्पष्ट करें। श्री चौहान और धर्माणी ने कहा कि मेडिकल डिवाइस पार्क की शर्तों में उद्योगपतियों को तीन रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली प्रदान करनी पड़ती, जबकि राज्य सरकार को सात रुपए की दर से बिजली बाजार से खरीदनी पड़ती है। इसके अलावा पानी, रखरखाव तथा गोदाम की सुविधा दस वर्षों तक बिना किसी शुल्क के उपलब्ध कराने की शर्त भी केंद्र सरकार ने लगा रखी थी, जिस पर राज्य सरकार को करोड़ों रुपए खर्च करने पड़ते। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता जानती है कि ये शर्तें किसी भी तरह प्रदेश के लोगों के हित में नहीं थीं और इन्हीं कारणों को देखते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रदेश हित में केंद्र सरकार से मिले 25 करोड़ रुपए वापस लौटाने का निर्णय लिया।

प्रदेश को जीएसटी से कुछ नहीं मिलना था

मेडिकल डिवाइस पार्क से हिमाचल प्रदेश को जीएसटी से एक पैसा भी नहीं आना था, क्योंकि जीएसटी उस प्रदेश को मिलना था, जहां इन उपकरण की बिक्री होनी थी। केंद्र की शर्तों के अनुसार स्टेट जीएसटी में 10 वर्षों के लिए 70 प्रतिशत छूट का प्रावधान भी था, जिससे प्रदेश की संपदा को भारी नुकसान होता।

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