स्कॉच गवर्नेंस रिपोर्ट कार्ड-2021 में हिमाचल का बेहतरीन प्रदर्शन, टॉप 10 में शामिल

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रैंकिंग में 6 स्थानों का सुधार, फाइनेंस एंड रेवेन्यू में हिमाचल प्रदेश ने बिहार, उत्तरप्रदेश और पंजाब जैसे बड़े राज्यों को पछाड़ा



शिमला ।। हिमाचल प्रदेश की जयराम सरकार ने स्कॉच की ओर से जारी स्कॉच गवर्नेंस रिपोर्ट कार्ड-2021 में बेहतर प्रदर्शन करते हुए टॉप 10 राज्यों में जगह बनाई है। वर्ष 2020 के मुकाबले हिमाचल ने अपनी रैंकिंग में लंबी छलांग लगाते हुए 6 स्थानों का सुधार करते हुए देशभर में 10वां स्थान हासिल किया है। वर्ष 2020 में स्कॉच की ओर से जारी गवर्नेंस रिपोर्ट कार्ड में देशभर में हिमाचल 16वें पायदान पर था।

स्कॉच ने विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का मूल्यांकन किया है, जिस आधार पर गवर्नेंस रिपोर्ट कार्ड-2021 जारी किया गया है। स्कॉच ने फाइनेंस एंड रेवेन्यू, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, पुलिस और सुरक्षा, कृषि, इज ऑफ डूइंग, परिवहन, ई-गवर्नेंस, महिला एवं बाल कल्याण, जल आपूर्ति, जिला प्रशासन और नगर पालिका शासन में राज्यों के प्रदर्शन का विश्लेषण किया है। इसी आधार पर सभी राज्यों की रैंकिंग जारी की गई है। इसमें हिमाचल प्रदेश को विभिन्न श्रैणियों में सराहनीय कार्य करने पर परफॉर्मर कैटेगरी में रखा गया है।

फाइनेंस एंड रेवेन्यू में नंबर-1

फाइनेंस एंड रेवेन्यू में हिमाचल प्रदेश ने बिहार, उत्तरप्रदेश और पंजाब जैसे बड़े राज्यों को पछाड़ते हुए पहला स्थान हासिल किया है। दरअसल, हिमाचल में रेवेन्यू जनरेशन के बहुत सारे कार्य सरकार ने किए हैं। प्रदेश में निवेश बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार ने इन्वेस्टर्स मीट का भी आयोजन किया था जिसमें 96 हजार करोड़ के एमओयू साइन हुए थे, जिसमें से 41 हजार करोड़ रुपये से अधिक की दो ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी भी हो चुकी हैं।

साथ हिमाचल में उद्योग स्थापित करने के लिए प्रदेश सरकार ने नियम आसान किए हैं। उद्योगों के विकास के लिए कई तरह की राहतें प्रदेश सरकार द्वारा दी जा रही हैं। हिम प्रगति पोर्टल से विभिन्न परियोजनाओं की निगरानी और उद्यमियों के विभिन्न मुद्दों को हल किया जा रहा है। इसके साथ ही टैक्स सेटलमेंट योजना चलाकर सरकार ने राजस्व इकट्ठा किया है।

स्वास्थ्य क्षेत्र में हिमाचल का प्रदर्शन बेहतर

स्कॉच के रिपोर्ट कार्ड में स्वास्थ्य के क्षेत्र में हिमाचल ने देशभर में चौथा स्थान हासिल किया है। चंडीगढ़, दिल्ली, गुजरात और उत्तर प्रदेश को भी इस रैंकिंग में चौथा स्थान मिला है। हिमाचल सरकार ने हेल्थ इंन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए हैं।

कोरोना जैसी महामारी के दौरान प्रदेश में ऑक्सीजन प्लांट और मेकशिफ्ट अस्पताल बनाए गए। हिमाचल प्रदेश पात्र आबादी को कोविड टीकाकरण की पहली और दूसरी डोज़ लगाने में देश में सबसे आगे रहा। हिमाचल को एम्स की सौगात भी मिली है। जिसमें ओपीडी सेवाएं शुरू हो चुकी हैं और जल्द ही इसका उद्घाटन होगा। साथ ही हिमाचल में पांच नए मेडिकल कॉलेज खुले हैं।

मुख्यमंत्री सहारा योजना, मुख्यमंत्री हिमाचल हेल्थ केयर योजना यानी हिमकेयर जैसी स्वास्थ्य योजनाएं प्रदेश में चलाई जा रही हैं।

ग्रामीण विकास में हिमाचल 5वें स्थान पर

ग्रामीण विकास में हिमाचल प्रदेश को रैंकिंग में पांचवा स्थान मिला है। प्रदेश सरकार ने ग्रामीण विकास को लेकर विशेष ध्यान दिया है। मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन जैसी कई योजनाएं प्रदेश में चल रही हैं जो ग्रामीण हिमाचल की तस्वीर को बदल रही हैं। पंचवटी योजना भी इसका आधार बनी है।

पुलिस और सुरक्षा में अच्छे प्रदर्शन की बदौलत हिमाचल देशभर में पांचवें स्थान पर है। हिमाचल प्रदेश पुलिस देशभर में अपनी धाक जमाने में कामयाब हुई है। कई सर्वे में हिमाचल पुलिस को सर्वश्रेष्ठ आंका गया है। हाल ही में हिमाचल को पुलिस को बेहतरीन कार्य करने के लिए राष्ट्रपति की ओर से राष्ट्रपति कलर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है।

ई-गवर्नेंस में पांचवां स्थान

जिला प्रशासन और ई-गवर्नेंस में हिमाचल को रैंकिंग में पांचवां स्थान मिला है। हिमाचल प्रदेश ई-गवर्नेंस की ओर तेजी से अग्रसर हो रहा है। मुख्यमंत्री सेवा संकल्प हेल्पलाइन के जरिए शिकायतों का निवारण, ई-चालान से लेकर बिजली बिलों के ऑनलाइन भुगतान तक कई तरह की सुविधाएं प्रदेश के लोगों को घर बैठे ही मिल रही हैं।

महाराष्ट्र और तमिलनाडु के साथ हिमाचल

कृषि के क्षेत्र में योजनाओं के बेहतरीन क्रियान्वयन के लिए हिमाचल; महाराष्ट्र और तमिलनाडु के साथ पांचवे स्थान पर है। हिमाचल में प्रदेश सरकार द्वारा कृषि से संबंधित ऐसी कई योजनाएं चलाई जा रही जो किसानों-बागवानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही हैं।

इसके साथ ही प्राकृतिक खेती को लेकर हिमाचल अन्य राज्यों के लिए पथ प्रदर्शक बना है। हिमाचल उन राज्यों में शुमार हैं जिन्होंने प्राकृतिक खेती को लेकर योजना की शुरुआत की। प्राकृतिक खेती-खुशहाल किसान योजना, जल से कृषि को बल और मुख्यमंत्री खेत संरक्षण जैसी अनेकों योजनाएं किसानों के लिए लाभदायक साबित हो रही हैं।
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