हिमाचल: विभाग ने चार साल पहले लगा दिया मीटर और नहीं छोड़ा पानी, हाईकोर्ट ने दिए आपूर्ति करने के आदेश

पानी का मीटर स्वीकृत किया, पर जल आपूर्ति नहीं की गई। इसे लेकर हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अदालत ने प्रतिवादी को याचिकाकर्ता को पानी की आपूर्ति करने के आदेश देते हुए याचिका का निपटारा किया है। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि याचिका दायर होने के बाद अब बीच-बीच में पानी मिल रहा है। याचिकाकर्ता की शिकायत थी कि वर्ष 2020 में आईपीएच विभाग की ओर से उसके परिसर में पानी का मीटर भी लगा दिया गया, लेकिन उस कनेक्शन से पानी नहीं मिला।

इसके बाद अदालत ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए थे। याचिकाकर्ता जिला शिमला की तहसील ठियोग के गांव घोग का निवासी है। जल शक्ति विभाग की ओर से इस घर में घरेलू जल कनेक्शन में पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं कराया जा रहा था। इसी को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी।  बता दें कि इस क्षेत्र में पानी की समस्या से बहुत सारे लोग परेशान हैं। आए दिन धरने-प्रदर्शन किए जा रहे हैं। हाईकोर्ट के फैसले के आने के बाद लोगों आस जगी है कि उनके नलों में ही पानी आएगा। सरकार ने नल और मीटर तो लगा दिए, लेकि उन नलों में एक बूंद पानी की नहीं आती है।

पशुओं के सप्लीमेंट पर सरकार व विभाग ने दायर किया जवाब
पशुओं को दी जाने वाली  न्यूट्रिक्स बेलिस बोलस सप्लीमेंट ड्रग्स काॅस्मेटिक अधिनियम के अंतर्गत आती है या नहीं, इस पर सरकार व पशुपालन विभाग की ओर से प्रदेश हाईकोर्ट में जवाब दायर किया गया है। सरकार की ओर से दायर जवाब में दो ड्रग इस्पेक्टरों ने कहा है कि  पशुओं को दी जाने वाली सप्लीमेंट ड्रग्स कंट्रोल और कॉस्मेटिक कानून के तहत नहीं आती है, जबकि पशुपालन विभाग की ओर से बताया गया है कि यह सप्लीमेंट ड्रग्स कंट्रोल और कॉस्मेटिक अधिनियम में आता है। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अदालत ने याचिकाकर्ता को प्रत्युत्तर दायर करने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह के बाद होगी। तब तक कोर्ट के अंतरिम आदेश जारी रहेंगे। अदालत ने पिछले आदेश में याचिकाकर्ता मैसर्स प्रोविमी एनिमल न्यूट्रिशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ जारी कारण बताओ नोटिस पर रोक लगा दी थी। याचिकाकर्ता का आरोप है कि यह दवा एक सप्लीमेंट है न कि ड्रग है। इन दोनों की टेस्टिंग के उप मानक भिन्न-भिन्न हैं। इसी को अदालत में चुनौती दी गई है। कंपनी ने हिमाचल राज्य ऊन खरीद और विपणन संघ लिमिटेड से करार किया है।

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