
#खबर अभी अभी सोलन ब्यूरो*
15 अक्तूबर 2023

खुशवंत सिंह लिटफेस्ट के दूसरे दिन का पहला सत्र 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के हीरो मेजर जनरल इयान कारडोजो के नाम रहा। उनके संवाद के दौरान कई बार तालियां बजीं और सत्र के समापन पर सभी ने अपनी सीटों पर खड़े होकर उनको सम्मान दिया। उनकी पुस्तक ‘वियोंड द फियर’ पर चर्चा करते हुए वह सारा जाकोब के सवालों पर खुलकर बोले। मुंबई निवासी कारडोजो ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से शुरू की गई अग्निपथ योजना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि अग्निपथ योजना क्या है, चार साल का प्रशिक्षण। राजनेता जिस तरह से सेना के साथ बर्ताव कर रहे हैं, उसकी आवाज हमें ही उठानी होगी।
उन्होंने कहा कि ज्यादातर सेना के पूर्व अधिकारी चुप रहते हैं। अपने हकों की बात भी नहीं करते। इसी कारण अब कुछ राजनेताओं ने सेना के साथ भी व्यापार शुरू कर दिया है। कारडोजो ने कहा कि सेना में महिलाओं को लिया जाना गलत है, क्योंकि सेना में ऐसी-ऐसी जगह पर जाना पड़ता है, जहां पर महिलाएं नहीं जा सकतीं।
उन्होंने कहा कि वह महिला व पुरुष को एक नहीं समझते, क्योंकि जो काम पुरुष कर सकते हैं, वह महिलाएं नहीं और जो महिलाएं कर सकती हैं, वह पुरुष नहीं। ऐसे में सेना के अलावा महिलाओं को भले ही पुरुष के साथ मौका दिया जाए, मगर सेना में लिया जाना गलत है। वहीं 1971 के युद्ध पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि उनके कर्नल और यूनिट के जवान नौ दिन तक बिना कुछ खाए-पिए लड़ते रहे थे।
1984 में सेना को देरी से बोला गयाउन्होंने कहा कि 1984 में दंगों के दौरान सेना को देरी से दंगों को रोकने के लिए बोला गया। यदि समय रहते सेना को बोल दिया होता तो उस समय इतने दंगे नहीं भड़कते। उन्होंने कहा कि अब मणिपुर में भी वही किया जा रहा है। वहां पर भी अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा। अधिकारियों की लापरवाही से 40 साल रहे आधी पेंशन मेंउन्होंने देश के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए।
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