
कुल्लू।
हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना (चरण-II) के अंतर्गत जायका (कृषि) की विभिन्न गतिविधियों का निरीक्षण उप परियोजना निदेशक डॉ. डी. डी. शर्मा ने किया। इस अवसर पर जिला परियोजना प्रबंधक मंडी डॉ. हेम राज वर्मा तथा खंड परियोजना प्रबंधक कुल्लू डॉ. जयंत रतना उपस्थित रहे।
निरीक्षण के दौरान डॉ. शर्मा ने भुट्ठी वीवर्स सहकारी समिति में चल रहे हथकरघा प्रशिक्षण कार्यक्रम का जायजा लिया। उन्होंने समिति अध्यक्ष सत्य प्रकाश ठाकुर का आभार जताते हुए प्रशिक्षुओं से संवाद किया और प्रशिक्षण के माध्यम से आजीविका संवर्धन पर जोर दिया। साथ ही प्रशिक्षण कार्यक्रम को निरंतर व सुचारु रूप से संचालित करने के निर्देश दिए।
इसके उपरांत वहाव सिंचाई उप परियोजना नयरैनी के लाभार्थियों के साथ ‘शेप’ के अंतर्गत मार्केट सर्वे हेतु सब्जी मंडी भुंतर का दौरा किया गया। यहां लाभार्थियों ने फसलों के रख-रखाव, ग्रेडिंग, पैकेजिंग, गुणवत्ता तथा विपणन से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा की। इस दौरान लैब एश्योर श्रीमती मीनाक्षी चंदेल ने ई-नाम प्लेटफॉर्म की जानकारी दी।
इसके बाद विधानसभा क्षेत्र मनाली की ग्राम पंचायत करारसू के गांव शेगलू में वहाव सिंचाई योजना के निर्माण पूर्ण होने पर 19 दिसंबर 2025 को कृषक विकास संघ शेगलू के प्रधान मोहर सिंह की उपस्थिति में योजना का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम में उप निदेशक कृषि जिला कुल्लू डॉ. ऋतु गुप्ता व कृषि विकास अधिकारी राकेश कुमार भी मौजूद रहे।
डॉ. शर्मा ने मुख्य कुहल से वाटर कंट्रोल गेट हटाकर योजना को किसानों को समर्पित किया। स्वागत संबोधन में डॉ. जयंत रतना ने बताया कि इस योजना पर 42,03,615 रुपये की लागत आई है, जिससे 28.32 हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी और 212 किसान परिवार लाभान्वित होंगे। इसके बाद परियोजना हस्तांतरण प्रमाण पत्र कृषक विकास संघ को सौंपा गया तथा रख-रखाव के लिए आवश्यक औजार किट वितरित की गई।
अधिकारियों ने किसानों को परियोजना के अंतर्गत जल भंडारण टैंक, जलग्रहण उपचार, सोलर फोटोवोल्टिक इकाई, सोलर फेंसिंग, कृषि सड़कों का सुदृढ़ीकरण, कस्टम हायरिंग के माध्यम से कृषि मशीनरी, पॉलीहाउस-पॉलीटनल, डेयरी, मशरूम खेती, सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली (ड्रिप/स्प्रिंकलर), प्रशिक्षण, किसान समूह, स्वयं सहायता समूह व एफपीओ गठन जैसी योजनाओं की जानकारी दी।
अंत में बताया गया कि जायका परियोजना का मुख्य उद्देश्य फसल विविधीकरण के माध्यम से किसानों की आय में वृद्धि करना है। सिंचाई सुविधाओं के सुदृढ़ होने से नगदी फसलों की खेती को बढ़ावा मिलेगा और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।





