कलगीधर ट्रस्ट, बड़ू साहिब द्वारा श्री गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहीदी शताब्दी और श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के गुरता गद्दी दिवस को समर्पित महान नगर कीर्तन का सफल आयोजन

श्री गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहीदी शताब्दी और श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के गुरता गद्दी दिवस को समर्पित कलगीधर ट्रस्ट गुरुद्वारा बड़ू साहिब द्वारा विशाल नगर कीर्तन का आयोजन रविवार, 9 नवंबर 2025 को किया गया। नगर कीर्तन का शुभ आरंभ सुबह 6:30 बजे गुरुद्वारा बड़ू साहिब से हुआ। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की हजूरी में पाँच प्यारों ने अरदास करके नगर कीर्तन की शुरुआत की। गुरमत संगीत की सुरीली धुनों और “फतेह” के गूँजते जयकारों से पूरा क्षेत्र गुरबाणी के रंग में रंगा दिखाई दिया।

नगर कीर्तन का पहला पड़ाव राजगढ़ में हुआ जहाँ इसका भव्य स्वागत किया गया। इसके बाद दूसरा पड़ाव गुरुद्वारा सिंह सभा सपरून सोलन में हुआ, जहाँ गुरुद्वारा साहिब के प्रबंधकों और संगत द्वारा इस विशाल नगर कीर्तन का स्वागत किया गया। इसके पश्चात परवाणू, कालका, पिंजौर के गुरुद्वारा साहिबों में भी नगर कीर्तन का स्वागत किया गया। इन गुरुद्वारों से 20 से अधिक अकाल अकादमियों के बच्चों और अकाल यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों ने भी इस नगर कीर्तन में भाग लिया।

अगला पड़ाव कुराली–रूपनगर रोड स्थित गुरुद्वारा यादगार धन-धन बाबा दीप सिंह जी शहीद पर हुआ। इसके बाद नगर कीर्तन रूपनगर और कीरतपुर साहिब होते हुए शाम 5:30 बजे गुरुद्वारा सीस गंज साहिब, आनंदपुर साहिब पहुँचा। इस नगर कीर्तन में नगर चीमा साहिब, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब से 10,000 से अधिक संगतों ने शिरकत की। संगत के साथ-साथ अकाल अकादमियों के बच्चे, अकाल यूनिवर्सिटी दमदमा साहिब और इटर्नल यूनिवर्सिटी बड़ू साहिब के विद्यार्थी भी शामिल थे।

इस महान नगर कीर्तन के काफ़िले में 300 से अधिक गाड़ियाँ, बसें और ट्रक सम्मिलित थे। हर स्थान पर संगत द्वारा श्रद्धा से फूलों की वर्षा की गई और सेवादारों ने पानी, चाय और लंगर की व्यवस्था की। नगर कीर्तन के दौरान संगत ने गुरु साहिबान की बाणियों का कीर्तन सुना और उनकी शहादतों व शिक्षाओं को याद किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य गुरमत सिद्धांतों का प्रचार करना और समाज में एकता, प्रेम तथा सेवा की भावना को मजबूत करना था।

कलगीधर ट्रस्ट के मुख्य सेवादार डॉ. दविंदर सिंह और उप सेवादार जागजीत सिंह (काका वीर ) ने बताया कि यह नगर कीर्तन केवल आध्यात्मिक प्रेरणा का स्रोत ही नहीं, बल्कि एकता और गुरमत प्रचार का प्रतीक भी था। उन्होंने हज़ारों संगतों द्वारा इस महान नगर कीर्तन में भाग लेने के लिए धन्यवाद व्यक्त किया।

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