

नई दिल्ली | भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर को लेकर मध्यस्थता कराने की पेशकश करने वाले डोनाल्ड ट्रंप को भारत ने ठेंगा दिखा दिया है। भारत के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को बड़े ही साफ शब्दों में कहा कि लंबे अरसे से हमारा यही राष्ट्रीय पक्ष रहा है कि भारतीय केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर से संबंधित किसी भी मुद्दे को भारत और पाकिस्तान को द्विपक्षीय तरीके से ही हल करना है। इस नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। विदेश मंत्रालय ने प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि लंबित मामला केवल पाकिस्तान के अवैध रूप से कब्जा किए गए भारतीय क्षेत्र को खाली कराने का है। पाकिस्तान को पहले पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) खाली करना होगा, तभी द्विपक्षीय बातचीत शुरू हो सकेगी और सभी मामले हल हो सकेंगे। बता दें कि हाल ही में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने का दावा करते हुए कश्मीर को लेकर भी बयान दिया था। ट्रंप ने कहा था कि वह दोनों देशों के साथ मिलकर कश्मीर मुद्दे का हल निकालने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा था कि शायद हजार सालों बाद इस समस्या का कोई समाधान निकल आए। विदेश मंत्रालय ने प्रवक्ता ने एक बार फिर दोहराया कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष के दौरान पाकिस्तान की तरफ से ही समझौते के लिए फोन आया था। भारत की कार्रवाई के बाद पाकिस्तान को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा रहा था, जिसके बाद पाकिस्तान ने संघर्ष रोकने के लिए समझौता करने का प्रस्ताव रखा।
पाकिस्तान के प्रस्ताव के बाद दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच बातचीत हुई है। रणधीर जायसवाल ने डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे पर यह बयान दिया, जिसमें ट्रंप ने कहा था कि दोनों देशों के बीच संघर्ष रुकवाने के लिए उन्होंने दोनों देशों के साथ व्यापार बंद करने की धमकी दी थी। जायसवाल ने कहा कि सात मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने से लेकर 10 मई को गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई बंद करने पर सहमति बनने तक भारतीय और अमरीकी नेताओं के बीच उभरते सैन्य हालात पर बातचीत हुई। इनमें से किसी भी चर्चा में व्यापार का मुद्दा नहीं उठा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान ने उद्योग की तरह आतंकवाद को पोषित किया है। भारत ने उन आतंकवादी ढांचों को नष्ट किया, जो न केवल भारतीयों की, बल्कि दुनिया भर में कई अन्य निर्दोष लोगों की मौत के लिए भी जिम्मेदार थे। विदेश मंत्रालय ने साफ किया कि भारत सिंधु जल संधि को तब तक स्थगित रखेगा जब तक पाकिस्तान विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं कर देता। उन्होंने कहा कि अभी पाकिस्तान को पानी देने का कोई सवाल ही नहीं है।


