
हिमाचल प्रदेश में इस बार मानसून ने विकराल रूप धारण कर लिया है। बादल फटने, भूस्खलन और नदियों-नालों के उफान ने लोगों की मुश्किलें कई गुना बढ़ा दी हैं। जिला कुल्लू के कई गांव प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में हैं। भारी बारिश के चलते सड़कें और पुल तो क्षतिग्रस्त हुए ही हैं, कई परिवार अपने आशियानों से भी बेघर हो गए हैं।
भुंतर तहसील के अंतर्गत मणिकर्ण घाटी का सलास गांव भी इस आपदा से अछूता नहीं रहा। गांव के गरीब परिवार डोला राम का पुश्तैनी मकान भारी बारिश और अचानक आए नाले की भेंट चढ़ गया। डोला राम के अनुसार,
“यह सब कुछ पलक झपकते ही हुआ। देखते-देखते पूरा मकान मलबे में समा गया और जीवनभर की कमाई मिट्टी में मिल गई। हमारे पास केवल वही कपड़े बचे, जो उस समय तन पर थे।”
ग्रामीणों का कहना है कि जिस स्थान पर यह हादसा हुआ, वहां पहले कोई नाला नहीं था। इस बार तेज बारिश के कारण अचानक घर के पीछे से मलबा आया और डोला राम के सलेटनुमा मकान को पूरी तरह क्षतिग्रस्त कर गया।
ग्रामीण आलम चंद, अनील, पंच बीना और अन्य लोगों ने बताया कि पानी का बहाव बढ़ता देख उन्होंने डोला राम के परिवार को समय रहते घर से बाहर निकलने की सलाह दी। अगर परिवार समय पर न निकलता, तो बड़ा हादसा हो सकता था। गनीमत रही कि सभी लोग सुरक्षित बच गए।
फिलहाल डोला राम और उनका परिवार गांव में ही एक परिचित के घर में शरण लिए हुए हैं। गांववासियों ने न सिर्फ परिवार को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया बल्कि उनकी दैनिक जरूरतों का भी ख्याल रखा।
प्रशासन ने प्रभावित परिवार को तत्काल राहत के रूप में एक तिरपाल और 10 हजार रुपये की फौरी सहायता दी है।
भुंतर सुधार समिति ने भी लोगों से आगे आकर मदद करने की अपील की है। समिति का कहना है कि सरकार और प्रशासन अपनी भूमिका निभा रहे हैं, लेकिन ऐसे संकट में समाज के सभी वर्गों को मिलकर प्रभावित परिवारों की मदद करनी चाहिए।
सलास गांव की यह घटना एक बार फिर यह याद दिलाती है कि प्राकृतिक आपदा कब दस्तक दे दे, इसका कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता। हालांकि मुश्किल समय में समाज की एकजुटता और प्रशासन की त्वरित मदद प्रभावित परिवारों के लिए राहत की किरण साबित हो सकती है।





