
#खबर अभी अभी सोलन ब्यूरो*
11 सितंबर 2023

कैंसर से लड़ने वाली शिटाके मशरूम अब तीन से छह माह में नहीं, बल्कि मात्र 45 दिन में तैयार होगी। खुंब अनुसंधान निदेशालय (डीएमआर) सोलन ने मशरूम को लकड़ी के बुरादे पर जल्द तैयार करने में सफलता हासिल की है। वर्तमान में दुनिया भर में भारत इस औषधीय मशरूम को तैयार करने में पांचवें स्थान पर पहुंच गया है। इसका अधिकतर इस्तेमाल कॉफी और दवाओं में होता है। स्वाद में बेहद कड़वी होने से दवा में इसका इस्तेमाल कैप्सूल में किया जाता है।
सूखी शिटाके मशरूम 5,000 रुपये प्रति किलो मिलती है। उगाने के बाद सीधे दवा कंपनियों को इसे सप्लाई किया जाता है। यह मशरूम कैंसर की दवा का मुख्य स्रोत है। एंटीऑक्सीडेंट होने के कारण यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है, जिससे कैंसर जैसी बीमारियों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। डीएमआर की ओर से शिटाके मशरूम का अर्ली स्पॉन तैयार करने के बाद इसे उगाने पर शोध चल रहा था, जिसमें सफलता मिल गई है।
इसे सोलन में चल रहे राष्ट्रीय खुंब मेले में रविवार को प्रदर्शित किया गया। उधर, डीएमआर सोलन के निदेशक डॉ. वीपी शर्मा ने बताया कि वैज्ञानिकों की मेहनत फल लाई है। बीज तैयार करने के बाद अच्छा उत्पादन होना शुरू हो गया है। इसका बीज अब देशभर के 32 केंद्रों में उपलब्ध है। यह मशरूम दुनिया भर में उगाई जाती है, जिसमें भारत पांचवें स्थान पर है।
प्लास्टिक के कम इस्तेमाल और मशरूम उगाने के खर्च को कम करने के लिए डीएमआर में शोध कर रहा है। इसके तहत प्लास्टिक बैग के स्थान पर क्रेट का इस्तेमाल कर बटन और पैडी स्ट्रॉ मशरूम तैयार की है। इसका प्रशिक्षण सफल रहा है। राष्ट्र स्तरीय खुंब मेले के दौरान इसे प्रदर्शित भी किया गया है। इस तकनीक को प्रदर्शनी में भी लगाया गया था। इस दौरान देश भर से आए मशरूम उत्पादकों को भी इसकी जानकारी दी गई।
जी-20 सम्मेलन में भी लगाई प्रदर्शनी, जायजा भी लिया
नई दिल्ली में दो दिन चले जी-20 शिखर सम्मेलन में मशरूम सिटी ऑफ इंडिया सोलन में स्थित खुंब निदेशालय ने भी हिस्सा लिया। इसमें मशरूम की सात किस्मों को प्रदर्शित किया गया और इसका विदेशी मेहमानों ने जायजा लेकर इसकी जानकारी भी हासिल की। दिल्ली में गेनोडरमा, शिटाके, कोर्डिसेप्स, साइजोफेल्म हीरेशियम मशरूम की किस्मों की प्रदर्शनी लगाई गई थी।
#खबर अभी अभी सोलन ब्यूरो*





