क्यों मनाया जाता है इंजीनियर्स दिवस, जानिए इतिहास

#खबर अभी अभी सोलन ब्यूरो*

15 सितंबर 2023

एम विश्वेश्वरैया की जयंती मनाने और विज्ञान व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए योगदान को बताने के लिए हर साल 15 सितंबर को पूरे भारत में इंजीनियर्स दिवस मनाया जाता है। एम विश्वेश्वरैया का पूरा नाम मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया है। भारत के अलावा 15 सितंबर को श्रीलंका और तंजानिया में भी इंजीनियर दिवस मनाया जाता है।

कौन है एम विश्वेश्वरैया

एम विश्वेश्वरैया का जन्म साल 1861 में कर्नाटक के बेंगलुरु से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चिक्काबल्लापुर में एक तेलुगु परिवार में हुआ था। अपने गृहनगर में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद विश्वेश्वरैया मद्रास विश्वविद्यालय में बीए की पढ़ाई करने गए। हालांकि, बाद में उन्होंने पुणे में कॉलेज ऑफ साइंस से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया।

एम विश्वेश्वरैया बाढ़ आपदा प्रबंधन और सिंचाई तकनीकों में माहिर थे।

– उन्होंने पुणे के पास खडकवासला जलाशय में वाटर फ्लडगेट्स के साथ एक सिंचाई प्रणाली का पेटेंट कराया और स्थापित किया।
– एम विश्वेश्वरैया ने मैसूर के दीवान के रूप में शासन किया, जहां उन्होंने बैंगलोर कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की।
– 1917 में विश्वेश्वरैया ने कर्नाटक में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की, जिसे अब यूनिवर्सिटी विश्वेश्वरैया कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के नाम से जाना जाता है।
– एम विश्वेश्वरैया को 1955 में भारत रत्न पुरस्कार मिला।

इंजीनियर्स दिवस का महत्व
राष्ट्रीय इंजीनियर दिवस का अवसर देश में इंजीनियरों की तरफ से किए गए प्रयासों को स्वीकार करने के रूप में भी मनाया जाता है। इंजीनियरों को कठिन पढ़ाई से लेकर नौकरी के दौरान कई परेशानियों को झेलना पड़ता है। बिना इंजीनियर्स के किसी भी देश का ढांचागत विकास असंभव है। क्योंकि इंजीनियर्स के अथक प्रयासों और महान दिमाग से ही हम नई तकनिकी का प्रयोग करने में सक्षम हैं।

क्या है इंजीनियर्स डे की थीम
राष्ट्रीय इंजीनियर्स दिवस की थीम ‘सतत भविष्य के लिए इंजीनियरिंग’ है। यह अवसर इंजीनियरों की सरलता और नवीनता के जश्न का प्रतीक है।

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