चिट्टा तस्करी में सलाखों के पीछे था बेटा, मां ने गम में तोड़ा दम, पति नशे में बेसुध; जानें

हमीरपुर  : नशा किस कद्र पूरे परिवार को तबाह कर रहा है, दिल को झकझोरने वाला ऐसा ही मामला जिला हमीरपुर में सामने आया। जिला मुख्यालय में एक महिला ने बेटे के जेल में जाने के गम में दम तोड़ दिया। बेटा चिट्टा तस्करी के आरोप में जेल में बंद था और पति नशे में बेसुध। सुबह के वक्त महिला ने घर में ही दम तोड़ दिया। घर में मौजूद 85 वर्षीय बुजुर्ग सास ने पड़ोसियों और रिश्तेदारों को इसकी खबर दी। मृतक महिला का पति नशे में इस कद्र बेसुध था कि वह श्मशानघाट तक नहीं जा सका। रिश्तेदारों ने महिला के बेटे को जेल से कुछ घंटों के लिए रिहा करवाकर श्मशानघाट लाया, जहां पर उसने मां को मुखाग्नि दी।

अदालत से छह घंटे की रिहाई की इजाजत मिली थी। रिहाई के इन चंद घंटों में आरोपी अंतिम संस्कार में शामिल हुआ, लेकिन अंडर ट्रायल होने की वजह से उसे पैरोल नहीं मिली है। दरअसल अंडर ट्रायल कैदियों को कोर्ट के आदेशों पर ऐसी परिस्थितियों में कुछ दिनों की रिहाई मंजूर हो सकती है। इस रिहाई के लिए कोर्ट में गारंटर की जरूरत होती है। आरोपी बेटे की रिहाई के लिए कोई गारंटर कोर्ट में पेश नहीं हुआ। बताया जा रहा है कि आरोपी के पिता ने भी गारंटर बनने से इन्कार कर दिया। गारंटर को अपनी संपत्ति का रिकाॅर्ड भी कानूनी कार्रवाई में संलग्न करना जरूरी होता है, जिसके लिए मृत महिला के पति ने हामी नहीं भरी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि नशे ने इस परिवार को किस कद्र तबाह कर दिया। 85 वर्षीय बुजुर्ग महिला का बेटा और पोता नशे में डूबे हैं, जबकि अब उसके दुख के सहारे बहू को भी छीन लिया है। विवशता में बुजुर्ग ने पड़ोसियों और रिश्तेदारों की मदद से बहू का अंतिम संस्कार किया।

आरोपी ने चिट्टा तस्करी में मां के बैंक खातों का किया था प्रयोग
बेटे के गिरफ्तार होने के बाद से महिला गुमसुम रहती थी। वह उसे नशे से बचाने की जद्दोजहद कर रही थी। बेटे के खिलाफ एक वर्ष पूर्व ऊना में चिट्टा तस्करी के मामले में केस दर्ज हुआ था। इसके बाद से महिला उसे चिट्टे की दलदल से निकालने का प्रयास कर रही थी, लेकिन हमीरपुर में हाल ही में भारी मात्रा में चिट्टे के साथ युवक को घर से दबोचा गया था। इतना ही नहीं, आरोपी ने अपनी मां के बैंक खातों को नशा तस्करी के लेनदेन के लिए प्रयोग किया था। खातों के प्रयोग से मां अनजान थी, लेकिन बेटे की चिंता ने उसे काल का ग्रास बना दिया।

नशे की कुरीति को खत्म करने के लिए सामूहिक प्रयासों की जरूरत है। अंडर ट्रायल कैदियों को कोर्ट के माध्यम से रिहाई दी जाती है। इसके लिए कानूनी प्रक्रिया है। एक आरोपी की मां की मौत की दुखद खबर मिली है- भगत सिंह ठाकुर, एसपी हमीरपुर

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