
आयुर्वेदिक विशेषज्ञ हाथों हाथ खरीद रहे अपराजिता बेल के फूल और रामा श्यामा तुलसी
महिलाएं प्रतिमाह कमा रही औसतन 10 से 12 हजार रुपये
नारी (ऊना)। कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र के तहत गांव घंडावल की पूजा देवी ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से अपना भविष्य संवार रही हैं। उन्होंने गांव में स्वयं सहायता समूह बनाकर करीब 20 महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है। इस कार्य से समूह की महिलाएं प्रतिमाह 10 से 12 हजार रुपये तक की आय अर्जित कर रही हैं। पूजा देवी पांच अन्य महिला साथियों के साथ जंगल से अपराजिता बेल और रामा-श्यामा तुलसी की पहचान कर इन्हें एकत्र करती हैं। इन औषधीय पौधों का उपयोग विभिन्न आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में किया जाता है।
पूजा देवी बताती हैं कि अपराजिता एक नीले और सफेद फूलों वाली बेल है, जिसके फूल और जड़ औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। यह पाचन सुधारने, तनाव व चिंता कम करने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में अत्यंत लाभकारी है। इसके पत्ते और जड़ को सुखाकर पाउडर बनाया जाता है, जो वर्षा ऋतु के बाद विशेष रूप से उपयोगी होता है।
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वहीं रामा-श्यामा तुलसी जंगली तुलसी की प्रजाति है। इसके पत्ते टहनियां और जड़ें अनेक रोगों को दूर करने में सहायक होती हैं। इसे सुखाकर तैयार किया गया पाउडर चाय के रूप में सेवन किया जाता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ खांसी, जुकाम और बुखार जैसी बीमारियों में भी राहत देता है। धार्मिक दृष्टि से भी यह तुलसी भगवान राम और कृष्ण से जुड़ी मानी जाती है।
पूजा देवी का कहना है कि बड़े आयुर्वेदिक चिकित्सक भी इन जंगली जड़ी-बूटियों और रामा-श्यामा तुलसी के पाउडर को खरीदते हैं, क्योंकि इनमें किसी भी प्रकार की मिलावट नहीं होती। यही कारण है कि अपराजिता को अपराजेय औषधि कहा जाता है। उन्होंने बताया कि उन्होंने जड़ी-बूटियों की पहचान और उपयोग संबंधी प्रशिक्षण प्राप्त किया है, जिसके दौरान इसके लाभों की विस्तृत जानकारी दी गई।
मिशन से जुड़ी वरिष्ठ सदस्य मीना कुमारी ने बताया कि स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी सैकड़ों महिलाएं अब इन औषधीय पौधों के माध्यम से आत्मनिर्भर हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि अब हमें आजीविका के लिए किसी के सामने हाथ नहीं फैलाना पड़ता। बस थोड़ा जंगलों में जाकर इन जड़ी-बूटियों की पहचान करनी होती है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन की ओर से इस कार्य के लिए आवश्यक प्रशिक्षण दिया गया है और ये औषधियां वास्तव में कुदरत का अनमोल उपहार हैं।





