

#खबर अभी अभी मंड़ी ब्यूरो*
19 दिसंबर 2024
डॉ. चिरंजीत परमार की प्रथम पुण्यतिथि पर बच्चों को अनमोल उपहार दिए गए। उनके परिवार ने उन्हें एक विशेष श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने साकार सोसायटी के बच्चों को उपयोगी उपकरण जैसे वैक्स मेल्टिंग मशीन, गीजर और फिजियोथेरेपी उपकरण दान किए। साकार सोसायटी, जो मानसिक रूप से अक्षम बच्चों के कल्याण के लिए 2008 से समर्पित है, निःशुल्क परिवहन, विशेष शिक्षा, फिजियोथेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी, स्पीच थेरेपी और व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करती है। यह संस्था इन साकार सोसायटी मंडी के डोधवान और कांगू में अपने डे-केयर केंद्र चलाती है, जहाँ विशेष शिक्षकों द्वारा बच्चों को सिखाया जाता है। प्रथम पुण्यतिथि पर डॉ. परमार की पत्नी पुष्पा परमार और उनकी बेटी दीप्ति परमार चड्ढा ने बताया कि डॉ. परमार को असहाय और जरूरतमंद लोगों की मदद करने में बहुत खुशी मिलती थी, और हम उनकी इसी सोच को आगे लेकर जाना चाहते हैं। परिवार की ओर से साकार स्कूल में एक छोटा सा प्रीति भोज का भी आयोजन किया गया, जिसका विशेष तौर पर बच्चों ने बहुत आनंद लिया।
डॉ. चिरंजीत परमार: हिमालयी जंगली फलों के संरक्षक
डॉ. परमार को उनके जीवनकाल में “कर्नाटक के एप्पल मैन” और हिमालयी जंगली फलों के सबसे बड़े जानकार के रूप में जाना गया। उन्होंने न केवल हिमालयी क्षेत्र के दुर्लभ जंगली फलों, नट्स और खाद्य पौधों का अध्ययन किया, बल्कि उनके संरक्षण और व्यावसायिक खेती को बढ़ावा देने में भी अभूतपूर्व योगदान दिया। आईआईटी मंडी के कमांद कैंपस में उनके निर्देशन में विकसित बॉटनिकल गार्डन हिमालयी जंगली फलों की 134 दुर्लभ प्रजातियों का संग्रह है।
यह गार्डन न केवल इन पौधों के संरक्षण का केंद्र है, बल्कि उनकी व्यावसायिक खेती की संभावनाओं को भी उजागर करता है। डॉ. परमार ने अपने शोध और लेखन के माध्यम से जंगली फलों की महत्ता को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई। उन्होंने कई ई-बुक्स और लेखों के माध्यम से इन फलों की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। उनकी वेबसाइट फ्रूटपीडिया दुनिया भर के फलों की जानकारी का अनमोल भंडार है। उनकी पुण्यतिथि पर यह योगदान न केवल उनकी स्मृति को सम्मानित करता है, बल्कि समाज के प्रति उनके सेवा भाव को भी प्रकट करता है। साकार सोसायटी के लिए यह दान निश्चित रूप से बच्चों के जीवन को सुधारने में सहायक होगा। इस अवसर पर राइज-अप मंडी के सदस्य सुरेंद्र मोहन,कृष्णा गुप्ता और तारा सेन उपस्थित थे, जिनका चिरंजीत परमार जी से गहरा नाता रहा है।



