नीलकंठ झील खुली, हर-हर महादेव के गूंजे जयकारे; 15 KM का पैदल ट्रैक पार कर पहुंचते हैं श्रद्धालु

करीब सात माह तक बर्फ से ढकी रहने वाली 13,124 फुट की ऊंचाई पर स्थित नीलकंठ महादेव की पवित्र झील इस बार सावन माह शुरू होने से 20 दिन पहले से श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुल गई है। अब उस ओर हर-हर महादेव के जयकारे लगने शुरू हुए हैं। मनमोहक एवं पवित्र इस झील की खासियत यह है कि पुरुष श्रद्धालु ही इस झील के दर्शन को जा सकते हैं।
मान्यतानुसार धार्मिक वर्जना व अन्य कई कारणों के चलते महिलाएं उस झील की ओर रुख नहीं करती हैं। उदयपुर से करीब 50 किलोमीटर दूर पहाड़ी के बीच स्थित इस पावन झील के दर्शन व मनोकामना को लेकर दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचने लगे हैं। सितंबर-अक्तूबर माह के बाद झील की ओर आवाजाही थम जाती है। उस समय ठंड बढ़ते ही थोड़ा सा मौसम बिगड़ने पर बर्फबारी का शुरू हो जाती है।
नीलकंठ झील का दर्शन कर लौटे जिला कुल्लू के श्रद्धालु अमित, विजय और सुमित ने बताया कि नीलकंठ झील पहुंच कर सुकून का अहसास होता है। नीलकंठ महादेव के पुजारी अमर सिंह का कहना है कि झील के दर्शन करने का समय श्रद्धालुओं के लिए जून, जुलाई, सितंबर माह तक उपयुक्त रहता है। पुरातन मान्यतानुसार धार्मिक वर्जनाओं को ध्यान में रखते हुए महिलाएं उस झील की ओर रुख नहीं करती हैं। पुलिस उप अधीक्षक रश्मि शर्मा ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि मौसम का विशेष ध्यान रखकर ही नीलकंठ महादेव झील के दर्शन को जाएं।

कैसे पहुंचा जा सकता है नीलकंठ
चोखंग गांव से नीलकंठ पुजारी अमर सिंह ने बताया कि पवित्र नीलकंठ झील के दर्शन को आने वाले श्रद्धालू नैनगार गांव तक बस से आ-जा सकते हैं। वहां से पांच किलोमीटर आगे तक छोटी गाड़ियों में जा सकते हैं। नैनगार तक पहुंचने के लिए केलांग बस अड्डे से यह बस 2:45 पर नैनगार के लिए रवाना होती है। रात्रि ठहराव के बाद अगले सुबह 6:30 यह बस केलांग के लिए आती है।

नैनगार से 15 किमी का ट्रैक है नीलकंठ
दिलीप कुमार ने बताया कि नैनगार गांव से नीलकंठ झील तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को एक तरफा 15 किलोमीटर कदमताल कर पहुंचना पड़ता है। छोटे वाहनों की आवाजाही के लिए नैनगार से आगे पांच किलोमीटर तक सड़क भी बनी है।

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