
खबर अभी अभी शिमला ब्यूरो
29 फरवरी 2024
हिमाचल प्रदेश में मची सियासी कलह के बीच नए मुख्यमंत्रियों के नाम की भी खूब चर्चा हो रही है। इसी बीच हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह का नाम आगे बढ़ाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि प्रतिभा सिंह के बेटे और बगावत करने वाले मंत्री विक्रमादित्य भी इस बगावत को तभी खत्म करने के मूड में हैं, जब मुख्यमंत्री बदल जाएगा। यही वजह है कि तमाम समझौतों की कोशिशों के बाद भी विक्रमादित्य ने कोई ढील नहीं बरती है। सियासी जानकारों का मानना है कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के समर्थक इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहते हैं। यही वजह है कि प्रतिभा सिंह का नाम एक बार फिर से आलाकमान तक पहुंचाया गया है।
जानकारी के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में शुरू हुई कवायद में मुख्यमंत्री के बदलाव का बड़ा दबाव बन रहा है। सियासी जानकारों का कहना है कि जब हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी, तब भी वीरभद्र सिंह के परिवार से ही मुख्यमंत्री के बनाए जाने का दबाव बढ़ा था। अब एक बार जब फिर हिमाचल प्रदेश में सियासी संकट पैदा हुआ है, तो वीरभद्र सिंह के समर्थक इस मामले को हाथ से नहीं जाने देना चाहते हैं। सूत्रों की मानें तो वीरभद्र सिंह की पत्नी और हिमाचल प्रदेश कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह को इस पूरे विवाद के दौरान सत्ता परिवर्तन कर मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग होने लगी है। राजनीतिक जानकार और वरिष्ठ पत्रकार राजेश शर्मा कहते हैं कि लोक निर्माण मंत्री और वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य ने इस पूरे मामले में बगावत यूं ही नहीं की है। उनका मानना है कि तकरीबन डेढ़ साल बाद पैदा हुआ सियासी संकट अब मुख्यमंत्री के बदलाव के साथ ही समाप्त हो सकता है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि हिमाचल की सियासत में जो चर्चा विक्रमादित्य के लिए उपमुख्यमंत्री पद की हो रही है उसका फिलहाल कोई आधार नजर नहीं आ रहा है। राजनीतिक विश्लेषक राजेश शर्मा के मुताबिक जब चुनाव जीतने के बाद हिमाचल में मुख्यमंत्री बनाए जाने की बात हुई, तो उनकी मां प्रतिभा सिंह का नाम रेस में सबसे आगे बताया के रहा था। लेकिन उस वक्त की सियासी उठापटक में राजा वीरभद्र सिंह के परिवार में मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं आई। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उसके बाद से हिमाचल प्रदेश की सियासत में दो धड़े अलग-अलग तरह से राजनीति करते रहे। इसमें एक धड़ा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का रहा, जबकि दूसरा धड़ा राजा वीरभद्र सिंह के समर्थकों और प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह का माना जाता रहा।





