

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पिछले पांच साल में एनडीपीएस एक्ट में दर्ज मामलों का रिकॉर्ड मांगा है। ताकि, पता चले कि प्रदेश में मादक पदार्थों का सेवन घटा है या बढ़ रहा है। खंडपीठ ने यह भी बताने को कहा है कि क्या मादक पदार्थ पुनर्वास पर राज्य नीति का मसौदा विचाराधीन था, अधिसूचित किया या नहीं। मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने जिला स्तर पर उपलब्ध कराई जा रही मादक पदार्थ पुनर्वास जैसी सुविधाओं के संबंध में हलफनामा दाखिल करने को भी कहा है। पुनर्वास संस्थानों में कार्यरत डॉक्टर, सहायक कर्मचारी और कमरों की संख्या भी 27 मई को अगली सुनवाई में अदालत में बतानी होगी।
अवैध अफीम की खेती को लेकर हाईकोर्ट में अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर हुईं हैं, इसी पर कोर्ट ने ये आदेश दिए हैं। खंडपीठ ने कहा है कि न्यायमित्र की ओर से जो सुझाव दिए हैं, उन पर संबंधित अधिकारी जांच करें। सुझावों में भांग की खेती के संबंध में राजस्व और वन विभाग के फील्ड स्टाफ व संबंधित पंचायत की संलिप्तता का सुझाव दिया है। इन स्थानीय निकायों पर अवैध खेती की रिपोर्ट करने का प्राथमिक कर्तव्य सौंपा गया है और जो उल्लंघन करते पाया गया, उसे पंचायतों की ओर से उपलब्ध कराए जा रहे सारे लाभ और योजनाएं बंद करने को कहा गया है। जो अधिकारी व कर्मचारी अवैध खेती रोकने में योगदान करेंगे, उन्हें पुरस्कृत किया जाना चाहिए। इसी तरह पंचायतों को भी प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।



