मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का ऐलान, कहा, भाखड़ा विस्थापितों के लिए जल्द लाएंगे पॉलिसी

बिलासपुर | घुमारवीं में हिमाचल प्रदेश पेंशनर्ज ज्वाइंट फ्रंट के मंच से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भाखड़ा विस्थापितों के दर्द को बांटने की कोशिश की। उन्होंने ऐलान किया कि जल्द ही राज्य सरकार भाखड़ा विस्थापितों के लिए पॉलिसी लाने पर विचार कर रही है। विडंबना यह है कि विस्थापित पट्टाधारक ही नहीं हैं, इसलिए उन्हें उनका हक मिलना चाहिए। सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार विस्थापितों के प्रति संवेदनशील है। हम बीबीएमबी से हिमाचल का हक दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। दरअसल हिमाचल में पांच नदियां बहती हैं और हिमाचल ही नहीं, बल्कि नॉर्थ इंडिया को सींचती हैं। नदियों में पानी हिमाचल का है और इस पर हक भी हिमाचल का बनता है। इसलिए बीबीएमबी से कानूनी लड़ाई लड़ी जा रही है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार 75 हजार करोड़ का कर्ज और 10 हजार करोड़ की देनदारियां छोड़ गई है।

पिछली सरकार ने जनता के पैसे को बुरी तरह से लुटाया। इसलिए सत्ता में आने के बाद कुछ कड़े फैसले भी लेने पड़े। उल्लेखनीय है कि भाखड़ा बांध निर्माण के लिए अपने घर-वार सब कुछ बलिदान करने वाले विस्थापितों को अपनी ही जमीन का मालिकाना हक नहीं है। हालांकि वीरभद्र सरकार के कार्यकाल में अवैध कब्जों को रेगुलर करने को लेकर पॉलिसी बनाई गई थी, जिसके तहत 150 वर्ग मीटर के दायरे में आने वाले कब्जों को रेगुलर करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी, मगर बाद में यह प्रक्रिया सुस्त पड़ गई। ऐसे में अब सीएम सुखविंदर सुक्खू के नेतृत्व में सरकार ने इस दिशा में कार्य शुरू किया है और जल्द ही पॉलिसी बनाने पर विचार करने की बात कही है, जिससे विस्थापितों को उनके प्लॉटों पर मालिकाना हक मिलने की उम्मीद बंधी है।

आईएफएस का कैडर बनाने जा रही हिमाचल सरकार

घुमारवीं में आयोजित राज्य स्तरीय सम्मेलन के दौरान सीएम सुक्खू ने कहा कि सरकार प्रदेश में आईएफएस का कैडर बनाने जा रही है। आईएफएस का आंकड़ा सौ से अधिक है इसलिए 86 अफसरों का कैडर बनाया जा रहा है।

पेंशनर्ज से बोले सीएम, आपका दर्द भी जानता हंू और पीड़ा भी

सीएम सुक्खू ने पेंशनर्ज से कहा कि वह उनका दर्द जानते हैं और पीड़ा को भी बखूबी समझते हैं, क्योंकि उनके पिता जी खुद एक पेंशनर हैं। पेंशनर्ज का इस प्रदेश के विकास की गाथा लिखने में योगदान है। इसलिए इस वर्ग को विशेष ध्यान रखा जाएगा। वह पिछले 35 सालों से राजनीति में हैं और राजेश धर्माणी जब एनआईटी हमीरपुर में पढ़ते थे, तब से वह उनके परिचित हैं और उनके पिता जी को भी जानते हैं। राजेश धर्माणी के घर आना-जाना लगा रहता था।

मुख्यमंत्री के समक्ष रखी मांगें

हिमाचल प्रदेश पेंशनर्स संयुक्त मोर्चा के राज्य अध्यक्ष आत्मा राम शर्मा ने सीएम का स्वागत किया। उन्होंने कर्मचारियों को दिए जा रहे वित्तीय लाभों व पेंशनर्स की मांगों के बारे में भी बताया। इस अवसर पर पेंशनर संयुक्त मोर्चा की मंडी स्थित शाखा ने मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए एक लाख रुपए का चेक भेंट किया।

नाम बदलने के पीछे का उद्देश्य

मुख्यमंत्री ने कहा कि मनरेगा का नामकरण किया है। यह देखने वाली बात है एक्ट में क्या प्रावधान है। पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी की सोच से आए इस कानून में क्या रोजगार की गारंटी है। केंद्र सरकार इस कानून को खत्म करने की मंशा से लागू कर रही है। उन्होंने कहा कि अब नाम बदलने के पीछे का उद्देश्य क्या है, यह देखना जरूरी है।

एम्स बिलासपुर में अभी तक रोबोटिक सर्जरी शुरू नहीं

मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने कहा कि प्रदेश के बड़े अस्पतालों आईजीएमसी शिमला, टांडा मेडिकल कॉलेज और नेरचौक मेडिकल कॉलेज में रोबोटिक सर्जरी शुरू कर दी है जबकि अभी तक बिलासपुर एम्स में यह सुविधा शुरू नहीं हो सकी है। यही नहीं, दो माह की अवधि में अभी तक शिमला के चम्याणा में 100 और टांडा में 50 सर्जरी की जा चुकी हैं। ऐसे में लोगों को प्रदेश में ही रोबोटिक सर्जरी की सहूलियत उपलब्ध कराई जा रही है। दिल्ली एम्स की तर्ज पर प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में उपचार की सुविधाएं प्रदान करने की दिशा में सरकार आगे बढ़ रही है।

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