
#खबर अभी अभी सोलन ब्यूरो*
11 सितंबर 2023

राष्ट्रीय खुंब मेले में बेहतरीन कार्य करने विभिन्न राज्यों से चयनित चार मशरूम उत्पादकों को प्रगतिशील मशरूम उत्पादक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इनमें बिहार की एक किसान महिला, कश्मीर, असम, महाराष्ट्र के उत्पादक शामिल रहे। इन्हें खुंब मेले में बतौर मुख्यातिथि शामिल नौणी विवि के पूर्व कुलपति डॉ. विजय सिंह ठाकुर ने सम्मानित किया है। बिहार की विनिता ने 5,000 आदिवासी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है। इस मौके पर आईसीएआर के निदेशक डॉ. ब्रिजेश सिंह विशेष तिथि के रूप में मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता निदेशक खुंब अनुसंधान डॉ. वीपी शर्मा ने की।
2011 से शुरू किया मशरूम का उत्पादन
राष्ट्रीय अवार्ड में बिहार के बांका जिला के गांव झिरवा की रहने वाली विनिता कुमारी ने मिल्की, बटन और ऑस्टर मशरूम का डीएमआर से प्रशिक्षण लिया। इसके बाद आदिवासी क्षेत्रों की 1200 महिलाओं को मशरूम का प्रशिक्षण देकर 5,000 महिलाओं को अपने साथ जोड़ा है। ये सभी महिलाएं अब मशरूम तैयार करने के साथ इसकी खाद्य वस्तुएं भी तैयार कर रही हैं। वहीं विनिता अपने मशरूम फार्म में रोजाना 250 किलो मशरूम तैयार कर रही हैं। विनिता ने बताया कि उन्होंने 2011 से मशरूम का कार्य शुरू किया है। इससे पहले उसके गांव में किसी भी व्यक्ति को मशरूम की जानकारी नहीं थी, लेकिन जब उसने मशरूम के बारे में जाना तो, इससे बहुत प्रभावित हुईं। प्रशिक्षण लेने के तुरंत बाद अपने क्षेत्र में मशरूम पर काम शुरू कर दिया।
पराली पर मशरूम तैयार कर रहे फुकन
असम के जिला जोहर निवासी बसंत चिरिंग फुकन ने डीएमआर सोलन से 2001 में प्रशिक्षण लिया था। इसके बाद अब वह असम में ढिंगरी और बटन मशरूम को पराली और खेतों में फसलों के अवशेषों पर तैयार कर रहे हैं। इसके साथ वह अपने जिले के किसानों को भी मशरूम उत्पादन के साथ जोड़ रहे हैं। वह उन्हें प्रशिक्षित भी कर रहे हैं। उनके साथ अब 500 किसान मशरूम तैयार कर रहे हैं। इसके अलावा वह मशरूम स्पॉन पर भी काम कर रहे हैं, जिसमें वह किसानों को भी इसका प्रशिक्षण दे रहे हैं। पराली पर मशरूम तैयार करने से इसकी लागत भी कम पड़ती है, जिससे किसानों का मुनाफा भी बढ़ रहा है। इसके अलावा वह मशरूम से कई खाद्य वस्तुएं भी तैयार कर रहे हैं।
बटन मशरूम के साथ खाद तैयार कर रहे लोन
कश्मीर के जिला बारामुला के गुलमर्ग निवासी गोहर अली लोन 2017 से मशरूम तैयार कर रहे हैं। डीएमआर के पूसा केंद्र से उन्होंने मशरूम का प्रशिक्षण लिया था। 150 से अधिक किसानों को प्रशिक्षण दिया और अपना मशरूम फार्म तैयार कर वहां उन्हें रोजगार से भी जोड़ा है। बटन मशरूम के साथ खाद भी तैयार कर रहे हैं। 50 किसानों को अपने फार्म के साथ जोड़ा है। उन्हें प्रशिक्षण देने के साथ खाद बनाने की तकनीक भी बता रहे है। नए उत्पादकों को अपने साथ जोड़कर उन्हें खाद भी प्रदान कर रहे हैं। एक साथ बीस हजार बैग मशरूम के तैयार किए जा रहे हैं। इससे पहले भी वह मशरूम में बेहतरीन कार्य करने पर 2021 में राष्ट्रीय अवार्ड से दिल्ली में सम्मानित हो चुके हैं।
फ्रोजन मशरूम समेत अन्य खाद्य वस्तुएं बना रहे तैयार बोकरे
महाराष्ट्र निवासी अनिल एन बोकरे ढिंगरी, बटन मशरूम और स्पॉन तैयार कर रहे हैं। बाजार में ढिंगरी के कम दाम मिलने पर उन्होंने ढिंगरी मशरूम को सुखाकर उसका पाउडर तैयार कर कई खाद्य वस्तुएं तैयार की हैं। इसके अलावा वह बटन मशरूम का अचार, प्रोटीन पाउडर, फ्रोजन मशरूम, प्रोटीन पाउडर समेत अन्य कई वस्तुएं बना रहे हैं। इसके अलावा मशरूम के अवशेषों से वर्मी कंपोस्ट तैयार कर रहे हैं। 2,000 किसानों को प्रशिक्षण दे चुके है। जबकि 10 से 15 हजार किसानों को मशरूम से रोजगार प्रदान कर रहे हैं।
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