

शिमला संसदीय सीट के रण में उतरे भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी को जीत की दहलीज लांघने के लिए शिमला जिला से लीड लेनी होगी। भाजपा ने पांच विधानसभा क्षेत्रों वाले जिला सिरमौर से वर्तमान सांसद सुरेश कश्यप को प्रत्याशी बनाया है। पांच विधानसभा सीटों वाले ही सोलन जिला से कांग्रेस ने मौजूद विधायक विनोद सुल्तानपुरी पर दांव खेला है। ऐसे में अपने-अपने गृह जिला के मतों के अलावा शिमला जिला की सात सीटों में बढ़त लेने वाले पार्टी प्रत्याशी के लिए ही दिल्ली पहुंचने की राह आसान होगी। भाजपा जहां जीत का चौका मारने की कोशिश करेगी वहीं कांग्रेस के पांच मंत्रियों, तीन सीपीएस पर अपने खो चुके गढ़ को वापस लेने का दारोमदार है।
शिमला सीट से लगातार तीन चुनावों से भाजपा जीत दर्ज कर रही है। वर्तमान सांसद सुरेश कश्यप ने वर्ष 2019 में चुनाव जीता था। इनसे पहले वीरेंद्र कश्यप 2009 और 2014 में शिमला से जीते थे। वर्ष 1998 तक हुए लोकसभा चुनावों में शिमला सीट कांग्रेस का गढ़ रही है। कांग्रेस के वर्तमान प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी के पिता दिवंगत केडी सुल्तानपुरी के नाम लगातार छह चुनाव जीतने का रिकॉर्ड है। अब वर्तमान की सुक्खू सरकार में शिमला संसदीय सीट से हर्षवर्धन चौहान, डॉ. धनीराम शांडिल, रोहित ठाकुर, अनिरुद्ध सिंह और विक्रमादित्य सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।तीन मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी, रामकुमार, मोहनलाल ब्राक्टा और विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार भी इसी सीट के तहत आते हैं। ऐसे में लोकसभा चुनाव के दौरान इनकी भी परीक्षा होगी। 15 माह पहले विधानसभा चुनाव जीत कर विधायक बने इन नेताओं को लोकसभा चुनाव में भी अपनी लोकप्रियता को बरकरार रखना होगा। इन सभी नेताओं के पास शिमला सीट से सरकार में बहुत अधिक नियुक्तियां होने को लेकर लगने वाले आरोपों को अपने-अपने क्षेत्रों से लीड दिलाकर झुठलाने का मौका भी है। अगर यह ऐसा नहीं कर पाते हैं तो कांग्रेस के भीतर ही इनके खिलाफ दोबारा सेआवाज बुलंद होना शुरू हो सकता है लोकसभा चुनाव के दौरान जिला शिमला की सात सीटों में जिस भी पार्टी प्रत्याशी का बेहतर प्रदर्शन रहेगा, उसके लिए जीत की राह आसान होगी। दोनों प्रत्याशियों ने अपने-अपने गृह जिलों में अधिक मत प्राप्त करने के लिए ताकत झोंकना शुरू कर दिया है। भाजपा के सुरेश कश्यप इन दिनों जिला सिरमौर और कांग्रेस के विनोद सुल्तानपुरी जिला सोलन में प्रचार को धार दे रहे हैं। शिमला जिला में बढ़त लेने का जिम्मा प्रत्याशियों के अलावा दोनों दलों के बड़े नेताओं पर भी रहेगा।





