

शिमला : वन भूमि से बेदखली के मामले में खिलाफत पर उतरे सेब बागबानों ने मंगलवार को शिमला में हल्ला बोला। किसान सभा और सेब उत्पादक संघ के बैनर तले बागबानों ने टॉलेंड से सचिवालय तक मार्च किया और सचिवालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। उन्होंने यहां पर चक्का जाम कर दिया था जिससे आम जनता का भी परेशानी पेश आई। बताया जाता है कि प्रदर्शन के दौरान किसानों-बागबानों ने सचिवालय के समीप पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेडस को भी वहां से फेंक दिया, जिसके चलते पुलिस के साथ हलकी धक्का-मुक्की भी हुई। बाद में मुख्यमंत्री ने इनके प्रतिनिधियों को वार्ता के लिए बुलाया। काफी संख्या में शिमला में यह लोग पहुंचे थे जिनकी मांग थी कि सरकार उनको राहत प्रदान करे और वन भूमि से उनकी बेदखली को रोका जाए।
प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ जमकर रोष निकाला। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि किसानों व बागबानों पर कारवाई से छोटे बागबानों को नुकसान हुआ है। सेब उत्पादक संघ के अध्यक्ष सोहन ठाकुर ने बताया कि प्रदेश में बारिश में सैकड़ों किसान-बागबान सचिवालय घेराव को शिमला पहुंचे हैं। प्रदेश के मंडी, कुल्लू, चंबा में सडक़ें बंद है, जिसके चलते कई किसान-बागबान शिमला नहीं पहुंच पाए है।
प्रदेश में किसानों को मिले मालिकाना हक
प्रदेश के किसान बागबान भूमिहीन किसानों को पांच बीघा जमीन देने की मांग उठा रहे है। इसके अलावा किसानों को उनकी जमीनों का मालिकाना हक देने की भी डिमांड़ कर रहे हंै। हाई कोर्ट के आदेशों पर जमीनों से हो रही किसानों की बेदखली पर रोक लगाने की भी मांग कर रहे है।
हर बार अनदेखी के शिकार
पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि 1980 के बाद सरकारों ने अपना दायित्व नहीं निभाया, जितनी भी सरकारें आई है। वह किसानों व बागबानों को दो इंच भूमि नहीं दे पाई है। उन्होंने डीएफओ द्वारा की गई बेदखली का विरोध किया है। इससे गैरकानूनी करार दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र सिंह पंवर व एक अन्य व्यक्ति ने किसानों व बागबानों पर हो रही कारवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। बीते सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने फलों से लदे सेब के पौधे काटने पर रोक जरूर लगाई दी है। मगर किसान फिर भी बेदखली रोकने पर अड़े हुए हैं।



