

शिमला: उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप ने कहा कि प्रदेश का मुख्यालय होने के कारण शिमला सड़क सुरक्षा की दृष्टि से विशेष परिस्थितियों वाला जिला है। अतः इस चुनौतीपूर्ण स्थिति से निपटने के लिए सभी विभागों को आपसी समन्वय के साथ काम करने की आवश्यकता है।
उपायुक्त आज यहां बचत भवन सभागार में आयोजित सड़क सुरक्षा जागरूकता कार्यशाला में प्रतिभागियों को सम्बोधित कर रहे थे। इस कार्यशाला में पुलिस, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन विभागों के साथ-साथ जिला प्रशासन के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने भाग लिया।
उन्होंने ‘राह वीर योजना’ की जानकारी देते हुए बताया कि सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने में सहायता करने वाले नागरिक को 25,000 तक की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है। उन्होंने इस योजना के बारे में अधिक से अधिक जन जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि लोग निःसंकोच घायलों की सहायता करें और राज्य स्तरीय कार्यक्रमों में उन्हें सम्मानित भी किया जा सके।
उपायुक्त ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं में घायल व्यक्ति को बिना किसी अग्रिम भुगतान या औपचारिक प्रक्रिया के सरकारी मान्यता प्राप्त अस्पतालों में 1.5 लाख रुपए तक का मुफ्त उपचार उपलब्ध कराया जाता है। उन्होंने इस योजना के प्रचार-प्रसार पर भी विशेष जोर देने को कहा।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि राजधानी क्षेत्र होने के कारण पुलिस विभाग को विशेष चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, और ऐसे में विभाग को सभी आवश्यक संसाधनों से सुसज्जित करना प्रशासन की प्राथमिकता रहेगी। उन्होंने कहा कि मोबाइल फोन का उपयोग करते हुए वाहन चलाना और चलते वाहन के सनरूफ में खड़े होकर सेल्फी लेने जैसी प्रवृत्तियाँ सड़क दुर्घटनाओं का कारण बन रही हैं, जिन पर नियंत्रण बेहद आवश्यक है।
उपमंडल स्तर पर होने वाली दुर्घटनाओं का विश्लेषण करें अधिकारी
उपायुक्त ने उपमंडल स्तर के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वह अपने क्षेत्रों में होने वाली दुर्घटनाओं का विश्लेषण करें और उसके अनुसार स्थानीय स्तर पर कार्य योजना तैयार करें ताकि सड़क दुर्घटनाओं में प्रभावी रूप से कमी लाई जा सके। साथ ही, उन्होंने परिवहन विभाग को जिला आधारित सड़क सुरक्षा पुस्तिका तैयार करने के निर्देश दिए, जिसे जागरूकता अभियान में उपयोग किया जा सके।
सड़क दुर्घटना के समय पुलिस होती है प्रथम रेस्पॉन्डर – संजीव कुमार गांधी
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शिमला संजीव कुमार गांधी ने कहा कि पुलिस विभाग द्वारा समय-समय पर सड़क सुरक्षा के लिए प्रभावी प्रयास किए जा रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप पिछले 2–3 वर्षों में दुर्घटनाओं में 50 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटना के समय पुलिस ही प्रथम रेस्पॉन्डर होती है, इसलिए विभाग को आवश्यक संसाधनों की निरंतर आवश्यकता रहती है। इसमें वाहन, सीसीटीवी कैमरे और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण शामिल हैं। उन्होंने उपायुक्त से अनुरोध किया कि पुलिस विभाग को सड़क सुरक्षा सेल के माध्यम से आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं।
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य लोगों में सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाना – आरटीओ
इस अवसर पर क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी अनिल कुमार शर्मा ने कहा कि कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य लोगों में सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाना और उन्हें यातायात नियमों के पालन के लिए प्रेरित करना था। उन्होंने कहा कि वर्ल्ड बैंक के अनुसार, विश्व में सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं भारत में होती हैं, और इन्हें वर्ष 2030 तक 50 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने अपनी प्रेजेंटेशन में विभिन्न गतिविधियों की जानकारी भी साझा की।
कार्यशाला के दौरान डीएसपी सड़क सुरक्षा दुष्यंत सरपाल ने ‘राह वीर योजना’ और हिट एंड रन मामलों पर विस्तृत जानकारी दी। इसके अतिरिक्त, बिग एफएम से आरजे शालिनी शर्मा ने सड़क सुरक्षा से जुड़े अपने अनुभव साझा किए और जनमानस को सड़क सुरक्षा से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यशाला में अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी (कानून एवं व्यवस्था) पंकज शर्मा, डीएसपी ट्रैफिक संदीप तथा अन्य विभागों के अधिकारी भी उपस्थित रहे।



