

शिमला : भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद सुरेश कश्यप ने कहा कि प्रदेश सरकार का मंत्रिमंडल एक संवैधानिक संस्थान को अध्यारोही करने का काम कर रहा है। यानी प्रदेश सरकार ने सभी हदें पार करते हुए राज्य निर्वाचन आयोग जैसे उच्च संवैधानिक संस्थान द्वारा लिए गए निर्णय को बदलने एवं दबाने का प्रयास कर रही है, ऐसा लगता है की सरकार के मंत्रियों एवं कांग्रेस के नेताओं को पता लग गया है कि आने वाले समय में पंचायती राज एवं नागर इकाईयों के चुनाव में कांग्रेस सरकार की नीतियों के कारण एक करारी हार का सामना करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि सरकार के पास इस आने वाली समस्या का कोई समाधान नहीं मिल पाया तो उन्होंने निर्णय लिया कि क्यों ना इन चावन को लंबित किया जाए। इसलिए एक संवैधानिक संस्थान निर्वाचन आयोग को प्रदेश की कैबिनेट की आड़ में दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि लंबे समय से निर्वाचन आयोग, शहरी विकास विभाग एवं मुख्य सचिव के बीच पत्राचार चल रहा है जिसमें निर्वाचन आयोग सरकार को आरक्षण रोस्टर देने की बात कर रहा है और सरकार आरक्षण रोस्टर को स्थगित करने की बात कर रही है। राज्य निर्वाचन आयोग ने 10 जुलाई 2025 को मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने स्पष्ट कर दिया की राज्य शहरी विकास मंत्रालय के पास ऐसी कोई भी शक्ति नहीं है जिससे वह आगामी शहरी विकास संस्थानों जैसे नगर निगम, नगर इकाईयों के रोस्टर के लक्षण एवं चुनाव के बारे में बात करें। राज्य निर्वाचन आयोग ने क्लोज जी आर्टिकल 243 पी भारतीय संविधान एवं क्षेत्र 2(31) और क्षेत्र 2(38) हिमाचल प्रदेश नगर निगम एक्ट 1994 का जिक्र भी किया। राज्य निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट भी कर दिया है कि अगर राज्य सरकार कह रही है कि अभी तक सेंसस नहीं हुआ तो 2011 के सेंसेक्स पर चुनाव कर दीजिए और यह निर्देश भी जारी किया है की शहरी विकास मंत्रालय द्वारा किसी भी प्रकार की चिट्ठी को तुरंत प्रभाव से वापस लिया जाए।
उन्होंने कहा कि हैरानी की बात यह है जब 11 जुलाई 2025 के पत्र में राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी चीज प्रत्येक जिला उपयुक्त को स्पष्ट कर दी उसके उपरांत 15 जुलाई 2025 तक रोस्टर जारी करने को कहा पर 22 जुलाई 2025 को शहरी विकास विभाग द्वारा सचिन निर्वाचन आयोग को एक पत्र लिखा जाता है जिसमें वह कहते हैं इस रोस्टर के बारे में हम 24 जुलाई 2025 को होने वाली कैबिनेट में निर्णय लेंगे। क्योंकि रोस्टर और चुनाव का निर्णय तो राज्य मंत्री मंडल का कार्य क्षेत्र है, यह हिमाचल प्रदेश सरकार की मंशा को स्पष्ट करता है की किस प्रकार से राज्य मंत्रिमंडल एक संवैधानिक संस्था को कुचलना का प्रयास कर रहा है।



