
कहीं सड़कों, पेयजल योजनाओं और पंचायत घरों के उद्घाटन हो रहे हैं तो कई पंचायतों में नई संपर्क सड़कों समेत जनहित की योजनाओं की आधारशिला रखी जा रही है।
पंचायत चुनाव से ठीक पहले सरकार के मंत्रियों ने गांव-गांव जाकर घोषणाओं की झड़ी लगा दी है। कहीं सड़कों, पेयजल योजनाओं और पंचायत घरों के उद्घाटन हो रहे हैं तो कई पंचायतों में नई संपर्क सड़कों समेत जनहित की योजनाओं की आधारशिला रखी जा रही है। राजधानी में लोक निर्माण एवं शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह और पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने मोर्चा संभाल रखा है। सरकार के यह दो वरिष्ठ मंत्री इस महीने अब तक 18 दिन शिमला ग्रामीण और कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र की 50 से ज्यादा पंचायतों के दौरे कर चुके हैं।
इन पंचायतों में करोड़ों रुपये से तैयार हुई योजनाओं के उद्घाटन हुए हैं तो दर्जनों नई योजनाओं के शिलान्यास भी रखे हैं। मंत्रियों के पंचायत प्रवास के चलते अफसरों की भी रोज एक से दूसरी पंचायत में भागदौड़ हो रही है। मंत्रियों के दौरे से पहले सड़कों के गड्ढे भर रहे हैं। पेयजल लाइनों में रोज पानी आ रहा है। इसके अलावा महिला मंडलों को पैसे और मशीनें भी दी जा रही हैं। हालांकि, आपदा से जूझने के बाद अब नई घोषणाएं और सुविधाएं मिलने से इन्हें राहत भी मिलने लगी है। दिसंबर में पंचायतों के चुनाव संभावित हैं। ऐसे में चुनाव से ठीक पहले सरकार भी जनता के बीच पहुंच रही है।
पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री अनिरूद्ध सिंह इस महीने 11 दिन पंचायतों के दौरे पर रहे हैं। इनमें 6 से नौ अक्तूबर तक कसुम्पटी, 11 को केल्टी, 15 को मशोबरा, 16-17 को ढली, मशोबरा, 28 से 29 अक्तूबर को कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र की पंचायतों का दौरा वह कर चुके हैं। 30 अक्तूबर यानि को भी मंत्री कसुम्पटी के दौरे पर ही रहेंगे। वहीं, शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह पहली अक्तूबर को रामपुर, 11 को शिमला ग्रामीण, 23 को टुटू, मज्याठ, 26 से 28 अक्तूबर तक शिमला ग्रामीण की पंचायतों के दौरे पर रहे। गुरुवार को भी मंत्री शिमला ग्रामीण की जनता को सौगातें देंगे।
मानसून सीजन के दाैरान हुई भारी बारिश कारण पंचायतों में संपर्क सड़कों को भारी नुकसान पहुंचा है। कई सड़कें अभी भी बंद पड़ी हैं। ऐसे में चुनावी साल में जनता को पहले राहत मिलना जरूरी है। सरकार का ज्यादातर फोकस भी सड़कों पर हैं। इसलिए इस महीने पंचायतों में 40 से ज्यादा सड़कों के शिलान्यास हो चुके हैं। महिलाओं को भी सिलाई मशीनें बांटी जा रही है। स्वयं सहायता समूहों को नकद राशि देकर आर्थिक रूप से मजबूत किया जा रहा है।





