सीपीएस मामले में सरकार को हिमाचल हाईकोर्ट ने आज तक पक्ष रखने का दिया समय

#खबर अभी अभी शिमला ब्यूरो*

24 अप्रैल 2024

Himachal High Court CPS case hearing latest update today

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में राज्य सरकार की ओर से नियुक्त किए मुख्य संसदीय सचिवों (सीपीएस) के मामले में दूसरे दिन भी सुनवाई हुई। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति बीसी नेगी की खंडपीठ ने इस मामले के सुनवाई की। राज्य सरकार ने अदालत से इस मामले को 8 और 9 मई को सुने जाने की गुहार लगाई। वहीं, कोर्ट ने सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए बुधवार तक का समय दिया है। राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि इस मामले में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ अधिवक्ताओं को नियुक्त किया है।

इस पर प्रदेश हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की एक जजमेंट का हवाला देते हुए कहा कि क्यों न वरिष्ठ अधिवक्ता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सरकार की ओर से अपनी दलीलें अदालत में पेश करें। प्रतिवादी नंबर पांच सीपीएस सुंदर सिंह की ओर से अधिवक्ता देवेन खन्ना पेश हुए। उन्होंने अदालत को बताया कि सीपीएस की नियुक्तियां हिमाचल प्रदेश के 2006 के अधिनियम के तहत की गई हैं। उन्होंने अपनी दलीलों में कहा कि संसदीय सचिव को मंत्रियों वाली सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं।

इन्हें वेतन विधायकों से सिर्फ 5,000 रुपये ज्यादा है, जबकि कैबिनेट मंत्री का न्यूनतम वेतन 85,000 रुपये है। प्रदेश सरकार गुड गवर्नेंस और जनहित के कार्यों के लिए सीपीएस बना सकती है। मुख्य संसदीय सचिव या संसदीय सचिवों की नियुक्ति का उद्देश्य संसदीय मामलों को मजबूत करना और ठोस बनाना है। मंत्रियों के काम के अतिरिक्त बोझ को कम करने और युवा सदस्यों को भविष्य में उच्च जिम्मेदारी साझा करने का अवसर प्रदान करने के लिए इस कानून की जरूरत पड़ी। संसदीय सचिव मंत्रियों की तरह काम नहीं कर सकते। सिवाय मंत्री के विचार के लिए फाइल पर प्रस्ताव के रूप में अपना नोट दर्ज करने के अलावा इनके पास कोई भी शक्ति नहीं है। सीपीएस, मंत्रियों और संबंधित विभागों के बीच धुरी का काम  करते हैं।

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