# सुक्खू की नेगोसिएशन स्किल ने उन्हें बनाया नायक | ट्रांसपोर्टर विवाद सुलझने से हजारों ने ली राहत की सांस

खबर अभी अभी ब्यूरो सोलन

20 फरवरी 2023

 

आखिरकार सरकार और अडानी के बीच समझौता हो ही गया। अडानी जो दो महीने पहले केवल साढ़े छ रूपए के करीब भाड़ा देने पर अड़ गए थे अंतत मुख्यंमत्री के दखल से 10 रूपए 30 पैसे के रेट पर समझौता कर गए। ट्रक ऑपरेटर भी इस रेट में तैयार हैं, ताकि डेडलॉक तोड़कर अंबुजा और एसीसी प्लांट में काम और ढुलाई फिर से शुरू हो सके।

विवाद के समाप्त होने की घोषणा आज पहले मुख्यमंत्री ने ऑपरेटरों और कंपनी प्रतिनिधियों के समक्ष करी, उसके बाद ट्रक ऑपरेटर भी प्रेस से रूबरू हुए। वैसे तो मुख्यमंत्री के जुझारू व्यक्तित्व की विवाद सुलझाने में मुख्य भूमिका रही, लेकिन प्रेस के सामने जब मुख्यमंत्री आए तो उन्होंने प्रदेश सरकार के अफसरों के नाम को आगे करते हुए उनके काम की खूब तारीफ की। इसमें सेक्रेटरी इंडस्ट्री के अलावा सोलन और बिलासपुर के उपायुक्त भी शामिल थे।

हालांकि बताया जा रहा है कि समझौता इतनी आसानी से नहीं हुआ और इसमें अडानी ग्रुप ने शुरू-शुरू में सरकार को भी गंभीरता से नहीं लिया। मुख्यमंत्री ने जब इस मसले पर खुद मोर्चा संभाला तो मामला सुलझने की दिशा में आगे बढ़ा। मुख्यमंत्री सुक्खु की नेगोसिएशन स्कील्स के जानकारों की माने तो मुख्यमंत्री ने जो रेट ऑपरेटरों से तय कराया था उससे भी कुछ पैसे ज्यादा ही वे अडानी से दिलाने में सफल रहे।

मुख्यमंत्री ने हालांकि पहले ही दिन ये स्पष्ट किया था कि वे हिमाचल में उद्योगों के लिए सही माहौल चाहते हैं लेकिन साथ ही उन्होंने ऑपरेटरों के संघर्ष को भी सही ठहराते हुए कंपनी को समझौता करने के लिए तैयार किया। ट्रक ऑपरेटर कहते हैं कि उनकी सभी मांगे तो पूरी नहीं हुई लेकिन मुख्यमंत्री के दखल से जो समझौता हुआ है उससे गतिरोध टूट गया है। ऑपरेटरों को आशा है कि उनके अन्य मसलों का हल जिला स्तर पर उपायुक्त अवश्य निकाल लेंगे।

नई सरकार बनने के पांच दिन बाद ही अंबुजा और एसीसी प्लांट को अडानी ग्रुप ने यह कहते हुए बंद कर दिया था कि वे केवल 6 रूपए के करीब ही ट्रक ऑपरेटरों को भाड़ा देगें, जो पहले करीब 11 रूपए के आसपास चल रहा था। एकदम आधे रेट पर काम करने का फरमान सुना कर अडानी ग्रुप ने ट्रक ऑपरेटरों से सीधा टकराव मोल लिया। नतीजतन दो माह तक प्लांट बंद रहने से अडानी ग्रुप को तो नुक्सान हुआ ही प्लांट पर निर्भर हजारों परिवारों की आर्थिकी भी चरमरा गई। सरकार को जो टैक्स का रोज घाटा हो रहा था सो अलग।

सोमवार को हुए समझौते के बाद सोलन और बिलासपुर जिला में स्थित इस प्लांट पर निर्भर लोगों की जान में जान आई। पिछले दो महीनों से प्लांट पर निर्भर ट्रक ऑपरेटर, ड्राइवर- कंडक्टर, पेट्रोल पंप, रिपेयर और पंक्चर दुकानें, ढ़ाबे सभी बिना काम के थे और इन सबके सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया था। मामले में सरकार के दखल के बाद अडानी ग्रुप ने जो फैसला किया वो तारीफ के काबिल है और किसी भी लोकप्रिय बिजनेस हाउस की प्रतिष्ठा के अनुरूप ही है। वहीं, ऑपरेटरों ने भी स्थितियों को देखते हुए बढ़े रेट के बजाए कम किए गए रेट पर कार्य करना स्वीकार किया इसकी भी तारीफ होनी चाहिए।

मसले के सुलझने के बाद हिमाचल में कांग्रेस के लिए सिरदर्द बना ये मुद्दा भी खत्म हो गया। विपक्षी भाजपा इस मसले को न सुलझा पाने के लिए लगातार सरकार पर हमलावर हो रही थी। निश्चय ही सुक्खू सरकार के साथ-साथ कांग्रेस संगठन के लिए भी सुख का सबब बन गए।

खबर अभी अभी ब्यूरो सोलन

 

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