
शिमला: हिमाचल प्रदेश में तैनात सैकड़ों नियमित शिक्षकों को बड़ा झटका लगा है। स्कूल शिक्षा निदेशालय ने कोर्ट के निर्णयों पर मिले सेवा लाभ वापस ले लिए हैं। इस संबंध में वीरवार को शिक्षा निदेशक आशीष कोहली की ओर से सभी जिला उपनिदेशकों को पत्र जारी किया गया है। 12 दिसंबर 2003 के बाद नियमित हुए प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी) और भाषा और शास्त्री शिक्षक इस फैसले से प्रभावित होंगे।स्कूल शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी पत्र में स्पष्ट किया गया कि सीडब्ल्यूपी संख्या 3144/2011 में एलपीए 4059/2013 अंजू देवी, सीडब्ल्यूपी संख्या 3143/2011 में एलपीए 4060/2013 मंजू देव और ओए संख्या 5561/2015 तेज राम एवं अन्य बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य और इससे जुड़े मामले सीडब्ल्यूपी संख्या 414/2014 कुलदीप चंद बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य ने अनुबंध शिक्षकों के लिए उनकी नियुक्ति की प्रारंभिक तिथि से ही नियमितीकरण का रास्ता खोल दिया था।
इस फैसले के चलते कई शिक्षकों को वरिष्ठता, वेतन वृद्धि और पदोन्नति के लाभ प्राप्त हुए, जो अब हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारियों की भर्ती एवं सेवा शर्तें अधिनियम 2024 (अधिनियम संख्या 23, 2025) के लागू होने के बाद रद्द कर दिए गए हैं। सरकार ने इन न्यायालय मामलों के तहत याचिकाकर्ताओं और गैर-याचिकाकर्ताओं को दिए गए सभी लाभ (वरिष्ठता, वेतन वृद्धि, पदोन्नति, वेतन निर्धारण) वापस ले लिए हैं। ऐसे में 12 दिसंबर 2003 के बाद नियमित किए गए शिक्षकों की सेवाओं को प्रारंभिक नियुक्ति की तिथि से नियमित नहीं माना जाएगा। सभी सेवा मामलों में केवल औपचारिक नियमितीकरण तिथि पर ही विचार होगा।शिक्षा निदेशक ने बताया कि राज्य में भर्ती और सेवा शर्तों को नियंत्रित करने वाला 2024 का अधिनियम अब न्यायालय के निर्णयों पर आधारित पिछली व्याख्याओं पर वरीयता प्राप्त करेगा। ऐसे में मदन लाल (सीडब्ल्यूपी 3341/2019), प्रेम सुख (सीडब्ल्यूपी 6582/2019) और सुभाष चंद (सीडब्ल्यूपी(टी) 5759/2008) जैसे अन्य निर्णयों के आधार पर भाषा शिक्षकों और शास्त्रियों की ओर से टीजीटी वेतनमान की मांग करने वाले अभ्यावेदनों या दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया गया है। इन दावों के आधार पर शिक्षकों को पहले से जारी किए गए ऐसे किसी भी लाभ को तुरंत वापस लिया जाएगा।





