

नई दिल्ली: केंद्र सरकार अब स्टेट हाइवे को नेशनल हाइवे (एनएच) में बदलने की रफ्तार कम करने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक अब हर सडक़ को एनएच का दर्जा नहीं मिलेगा, बल्कि राज्य सरकारों को खुद अपने हाइवे सुधारने के लिए पैसे दिए जाएंगे। नए मॉडल के तहत, अपग्रेड के बाद इन सडक़ों की देख-रेख राज्य सरकारें करेंगी। केंद्र सरकार अब ग्रीनफील्ड हाइवे और एक्सप्रेस-वे बनाने पर फोकस करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में ट्रांसपोर्ट मंत्रालय को जुलाई के अंत तक ऐसा मॉडल बनाने को कहा है, जिससे स्टेट हाइवे को एनएच डिक्लेयर करने की जरूरत ही कम हो।
मंत्रालय को स्टेट हाइवे और छोटे पोट्र्स को जोडऩे के लिए कहा गया है। गौरतलब है कि पिछले 11 साल में सरकार ने 55,000 किलोमीटर राज्य हाइवे को एनएच में बदला, जिससे अब नेशनल हाइवे की कुल लंबाई 1.46 लाख किलोमीटर हो गई है। सरकार का मानना है कि नेटवर्क फैलाने के बजाय, मौजूदा हाइवे को चौड़ा और बेहतर बनाना ज्यादा जरूरी है। मार्च 2025 तक भारत में कुल सडक़ नेटवर्क की लंबाई 63 लाख किलोमीटर से ज्यादा हो चुका है।
राज्यों को मिला सकता है ज्यादा फंड
प्रधानमंत्री मोदी के नए प्लान में राज्यों को अपने हाइवे सुधारने के लिए केंद्र से एकमुश्त फंड मिल सकता है। इससे वे अपनी जरूरत के हिसाब से सडक़ों को सुधार हैं। अपग्रेड के बाद इन सडक़ों की देखरेख और मेंटेनेंस भी राज्य सरकारें ही करेंगी, जिससे केंद्र सरकार लंबी दूरी की यात्रा के लिए सडक़ें बनाने पर फोकस कर सकेगी।
पहले राज्य सरकारें भेजतीं थीं एनएच का प्रस्ताव
पहले राज्य सरकारें अपनी अहम सडक़ों को एनएच में बदलवाने के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजती थीं। केंद्र सरकार इन सडक़ों की राष्ट्रीय महत्त्व, ट्रैफिक और कनेक्टिविटी के आधार पर जांच कर उन्हें एनएच घोषित करती थी। इसके बाद इन सडक़ों की देखरेख और फंडिंग केंद्र सरकार के जिम्मे आ जाती थी।



