स्वास्थ्य: यौन दुर्बलता के मरीजों को राहत दे रहा एम्स बिलासपुर, गैर-सर्जिकल, गैर औषधीय पद्धति से हो रहा उपचार

हिमाचल प्रदेश के यौन विकार के मरीजों के लिए राहत की खबर है। अत्याधुनिक गैर-सर्जिकल और गैर-औषधीय उपचार से सेक्सुअल डिसऑर्डर के मरीजों का इलाज हो रहा है। एम्स बिलासपुर के यूरोलॉजी एवं रीनल ट्रांसप्लांट विभाग में अब एक्स्ट्राकोर्पोरियल शॉक वेव थेरेपी (ईएसडब्ल्यूटी) की सुविधा शुरू हो गई है। फिलहाल, यह सुविधा डेमो मशीन के माध्यम से उपलब्ध कराई जा रही है, जबकि विभाग के लिए करीब 70 लाख रुपये लागत वाली स्थायी मशीन का टेंडर जारी हो चुका है। यह मशीन विशेष तौर पर सेक्सुअल डिसऑर्डर थेरेपी के लिए डिजाइन की गई है। एम्स बिलासपुर के यूरोलॉजी विभाग में डेमो मशीन के जरिए अब तक 50 से अधिक मरीजों का सफल इलाज किया जा चुका है। इसमें इरेक्टाइल डिसफंक्शन (यौन दुर्बलता), क्रॉनिक प्रोस्टेटाइटिस और पेल्विक पेन सिंड्रोम से जूझ रहे मरीज शामिल हैं। अधिकांश मरीजों को 2 से 3 सत्रों में ही आराम मिलने लगा है।
खास बात यह है कि एम्स बिलासपुर को स्थायी तौर पर मिलने वाली यह मशीन देश भर के एम्स में भी गिने चुने संस्थानों में है, लेकिन एम्स बिलासपुर के प्रबंधन ने इसकी जरूरत को समझते हुए इसका टेंडर जारी किया है। बाहरी राज्यों के बड़े स्तर के निजी अस्पतालों में इस तरह की सुविधाएं मरीजों को मिलती हैं। लेकिन हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य में इस तरह की सुविधा मिलना बड़ी पहल है। प्रदेश में इस तरह की सुविधा पहली बार शुरू हुई है।

क्या है ईएसडब्ल्यूटी
ईएसडब्ल्यूटी एक अत्याधुनिक गैर-सर्जिकल और गैर-औषधीय उपचार पद्धति है। इसमें शरीर के बाहर से उत्पन्न शॉक वेव्स को लक्षित अंग तक पहुंचाया जाता है। यह तकनीक रक्त परिसंचरण को बेहतर बनाती है, जिससे ऊतक की मरम्मत और अंगों की कार्यक्षमता बहाल होती है। हर सत्र 15 से 30 मिनट तक का होता है और मरीज तुरंत सामान्य गतिविधियों में लौट सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ईएसडब्ल्यूटी उन मरीजों के लिए बेहद उपयोगी है, जिन्हें अब तक दवाओं और सर्जरी पर निर्भर रहना पड़ता था। इस तकनीक से मरीजों को बिना किसी चीरे और दवा के ही राहत मिल रही है।

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