

शिमला:हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एचआरटीसी के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के हित में बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने आदेश दिया है कि जिन कर्मचारियों ने 8 साल की सेवा पूरी कर ली है, उन्हें 30 जून तक या उससे पहले नियमित किया जाए और सभी लाभ दिए जाएं। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ ने एक साथ सभी याचिकाओं का निपटारा करते हुए पारित किया, जिससे सैंकड़ों कर्मचारियों को राहत मिली है। अदालत ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं को वास्तविक वित्तीय लाभ याचिका दायर करने की तिथि से 3 साल पहले तक के दिए जाएंगे। उससे पहले के वित्तीय लाभ केवल नोशनल आधार पर माने जाएंगे।
बता दें कि याचिकाकर्ता निगम में चपरासी, चौकीदार, क्लर्क और स्वीपर जैसे पदों पर कार्यरत थे। उन्होंने मांग की थी कि उन्हें प्रारंभिक नियुक्ति से 8 साल की सेवा पूरी करने के आधार पर नियमित किया जाए। पूर्व में निगम ने इन कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी थीं, जिसके खिलाफ कर्मचारियों ने औद्योगिक ट्रिब्यूनल-सह-श्रम न्यायालय में याचिका दायर की थी। ट्रिब्यूनल ने कर्मचारियों के पक्ष में फैसला दिया था, लेकिन निगम ने नियमितीकरण नहीं किया। इसके बाद याचिकाकर्ता हाईकोर्ट में गए, जहां उन्होंने निगम के आदेशों को चुनौती दी थी।
कोर्ट ने कहा कि जब एक विशेष समूह को न्यायिक राहत मिलती है, तो समान परिस्थितियों में अन्य कर्मचारियों को भी वही लाभ मिलना चाहिए, अन्यथा यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा। खंडपीठ ने राज्य सरकार और अधिकारियों की ओर से अस्थायी नियुक्तियों (जैसे अनुबंध, तदर्थ, दैनिक वेतन) की आड़ में कर्मचारियों का शोषण करने की प्रवृत्ति पर नाराजगी जताई और इसे शोषणकारी प्रथा करार दिया।


