हिमाचल धार्मिक स्वतंत्रता कानून को चुनौती देने के लिए मांगा समय

#खबर अभी अभी शिमला ब्यूरो*

11 जनवरी 2023

 

हिमाचल धार्मिक स्वतंत्रता कानून को चुनौती देने के मामले में हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को 15 मार्च तक अपनी याचिका संशोधित करने की छूट दी है। अदालत ने मामले की सुनवाई 15 मार्च निर्धारित की है।  याचिकाकर्ता ने हिमाचल धार्मिक स्वतंत्रता कानून अधिनियम 2019 के प्रावधानों को अदालत में चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया था कि इस अधिनियम के प्रावधान भारतीय संविधान के अनुरूप नहीं हैं। ये प्रावधान नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि अभी तक प्रदेश में इस अधिनियम में एक भी केस दर्ज नहीं हुआ है। ऐसी सूरत में कानूनी प्रावधानों को और सख्त बनाना कानूनी सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है।

तत्कालीन भाजपा सरकार ने मानसून सत्र के आखिरी दिन प्रदेश में धर्मांतरण संशोधन विधेयक को सदन में पारित किया था। अनुसूचित जाति और अन्य आरक्षित वर्ग के लोग अगर धर्म परिवर्तन करते हैं तो उनको किसी तरह का आरक्षण न देने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा अगर वे धर्म परिवर्तन की बात छिपाकर आरक्षण की सुविधाएं लेते हैं तो ऐसे में उन्हें तीन से पांच साल तक सजा और 50 हजार से एक लाख रुपये तक का जुर्माना होगा। संशोधित कानून के मसौदे के मुताबिक किसी व्यक्ति की ओर से अन्य धर्म में विवाह करने और ऐसे विवाह के समय अपने मूल धर्म को छिपाने की स्थिति में भी तीन से 10 साल तक के कारावास का प्रावधान होगा। कानून में दो लाख रुपये तक के जुर्माने का भी प्रावधान है।

#खबर अभी अभी शिमला ब्यूरो*

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