हिमाचल प्रदेश: अच्छी खबर! जनता की भूली रकम लौटाएंगे बैंक, 10 साल से निष्क्रिय पड़े खातों की जांच शुरू

Shimla : अब आपकी भूली हुई रकम आप तक लौटेगी। कई लोगों के बैंक खाते, बीमा पॉलिसी, म्यूचुअल फंड, शेयर और डिविडेंड जैसी वित्तीय संपत्तियां वर्षों से निष्क्रिय पड़ी हैं, जिनका कोई दावा नहीं किया गया। अब ऐसे निष्क्रिय खातों और संपत्तियों की पहचान कर उन्हें उनके हकदारों तक पहुंचाने की प्रक्रिया हिमाचल प्रदेश में शुरू हो चुकी है।

देशभर में शुरू हुए आपकी पूंजी, आपका अधिकार अभियान के तहत प्रदेश के सभी बैंक, वित्तीय संस्थान, बीमा कंपनियां और म्यूचुअल फंड एजेंसियां दिसंबर तक विशेष जांच और जागरूकता अभियान चलाएंगी। यह कदम रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और वित्त मंत्रालय के संयुक्त निर्देशों के बाद उठाया गया है। बैंकों के अनुसार, ऐसे बचत और चालू खाते जिनमें पिछले दस वर्षों से कोई लेनदेन नहीं हुआ है, उन्हें निष्क्रिय खातों की श्रेणी में रखा गया है। इन खातों की रकम अब तक जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता (डीईए) फंड में स्थानांतरित की जाती रही है।

अब इस अभियान के तहत इन खातों की समीक्षा कर वास्तविक जमाकर्ताओं या उनके वारिसों की पहचान की जाएगी और उन्हें दावा प्रक्रिया के माध्यम से यह राशि लौटाई जाएगी। योजना के तहत सिर्फ बैंक खाते ही नहीं, बल्कि बीमा कंपनियों, म्यूचुअल फंड, शेयर बाज़ार और डिविडेंड के रूप में अटकी हुई रकम भी शामिल है। कई बार पॉलिसी धारकों की मृत्यु या पते में बदलाव के कारण राशि का दावा नहीं किया जा सका। अब संबंधित संस्थान इन रिकॉर्ड को डिजिटल रूप में मिलाकर हकदारों से संपर्क किया जाएगा।

राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के माध्यम से प्रदेश में जागरूकता अभियान को चलाया जाएगा। प्रत्येक जिला मुख्यालय, उपमंडल और ब्लॉक स्तर पर विशेष शिविर आयोजित किए जाएंगे, जहां बैंक और वित्तीय संस्थान मिलकर नागरिकों को जानकारी देंगे। लोगों को अपने पुराने खाते, बीमा दस्तावेज़, पैन कार्ड, आधार कार्ड और पहचान प्रमाण के साथ इन शिविरों में आकर अपनी पूंजी का दावा करने का अवसर मिलेगा। रिजर्व बैंक ने हाल ही में यूएफएए पोर्टल भी लांच किया है, जहां नागरिक अपने नाम, जन्मतिथि या पैन नंबर डालकर पता लगा सकते हैं कि किसी बैंक या वित्तीय संस्था में उनकी कोई अघोषित या निष्क्रिय रकम तो नहीं पड़ी। हालांकि जागरूकता अभियान तीन महीने का है, लेकिन बैंकों के लिए यह योजना एक वर्ष (1 अक्तूबर 2025 से 30 सितंबर 2026) तक प्रभावी रहेगी। इस दौरान जो भी निष्क्रिय खाते सक्रिय होंगे या दावे निपटाए जाएंगे, वे इस योजना के दायरे में आएंगे।

बैंकों को दी गईं सख्त हिदायतें
आरबीआई ने सभी बैंकों को निर्देश दिया है कि वे निष्क्रिय खातों की सूची सार्वजनिक करें और दावा प्रक्रिया को सरल बनाएं। बैंक अधिकारी हर सप्ताह समीक्षा बैठक करें और जिला स्तरीय समितियों को प्रगति रिपोर्ट सौंपें। राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति को अभियान की निगरानी का जिम्मा सौंपा गया है। शिक्षा संस्थानों, पंचायतों और स्थानीय निकायों के माध्यम से भी लोगों को जागरूक किया जाएगा कि वह अपने परिवारों की भूली रकम की जानकारी हासिल करें।

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