
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आईक्यूएसी ) की पहली बैठक शुक्रवार को विवि के कुलपति प्रो. महावीर सिंह की अध्यक्षता में हुई। बैठक में प्रति कुलपति प्रो. राजिंद्र वर्मा, सभी संकायों के डीन और आईक्यूएसी के सदस्य शिक्षक मौजूद रहे। आईक्यूएसी के निदेशक डॉ. रमेश ठाकुर ने विवि की वार्षिक गुणवत्ता आश्वासन रिपोर्ट प्रस्तुत की।
कुलपति प्रो. महावीर सिंह ने परीक्षा शाखा को निर्देश दिए कि परीक्षाओं के समाप्त होने के बाद एक माह के भीतर नतीजे घोषित करने की व्यवस्था विकसित की जाए। अधिष्ठाता अध्ययन प्रो. बीके शिवराम को सभी शैक्षणिक कार्यक्रमों में फील्ड प्रोजेक्ट्स, शोध परियोजनाएं या इंटर्नशिप को अनिवार्य रूप से शामिल करने और नए पाठ्यक्रमों को आवश्यकता के अनुसार जोड़ने, पाठ्यक्रमों की समय-समय पर समीक्षा करने के लिए कहा। सभी विभागाध्यक्षों और शिक्षकों को विभिन्न फंडिंग एजेंसियों जैसे एएनआरएफ, डीएसटी, आईसीएसएसआर, यूजीसी – एसएपी, डीएसटी- एफआईएसटी को नियमित रूप से शोध प्रस्ताव भेजकर फंड प्राप्त करने के लिए कार्य करने के लिए कहा। कुलपति ने कहा कि कॉलेज शिक्षकों को भी पीएचडी पर्यवेक्षण (सुपरविजन) में सम्मिलित किया जाएगा। इससे कॉलेजों में भी शोध कार्य हो सकेंगे। विश्वविद्यालय को नैक में बेहतर ग्रेड प्राप्त करने में भी सहयोग होगा। उन्होंने शिक्षकों को ई कंटेंट विकसित करने को भी कहा, जिससे डिजिटल लर्निंग प्रक्रिया को और मजबूत किया जा सके।
छात्र, अध्यापक विनिमय और संयुक्त शोध प्रस्ताव गतिविधियां चलें
कुलपति प्रो. महावीर सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय में छात्र, अध्यापक विनिमय और संयुक्त शोध प्रस्ताव जैसी गतिविधियां चलाई जाएंगी। उन्होंने विवि के प्रशिक्षण एवं प्लेसमेंट अधिकारी को रोजगार के अवसरों का पता लगाने, विभागों को उच्च शिक्षा के लिए अग्रसर छात्रों का रिकाॅर्ड रखने के निर्देश दिए। विश्वविद्यालय में शैक्षणिक एवं प्रशासनिक ऑडिट, ग्रीन ऑडिट, ऊर्जा ऑडिट आदि करवाने की बात कही। वाइस चांसलर प्रो. राजेंद्र वर्मा ने सभी विभागों से मेंटर-मेंटी प्रणाली को और मजबूत करने पर बल दिया। उन्होंने सभी विभागों को ई-वेस्ट, तरल अपशिष्ट एवं ठोस अपशिष्ट का सही प्रबंधन सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए।
वार्षिक बजट में अनुसंधान के लिए सीड मनी का रखें प्रावधान
बैठक में यह भी तय किया गया कि वित्त अधिकारी पीसी जसवाल वार्षिक बजट में अनुसंधान के लिए बीज धन (सीड मनी) का प्रावधान रखें और यह सुनिश्चित करें कि वेतन को छोड़कर कुल बजट का 70 फीसदी ढांचा विस्तार, शैक्षणिक और अन्य सुविधाओं के रखरखाव पर व्यय किया जाए। बैठक में डीएसडब्लू प्रो. ममता मोक्टा भी मौजूद रहीं।





