
शिमला : हिमाचल प्रदेश में सहारा योजना हांफ गई है। बीते तीन महीने से गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों को वित्तीय सहायता नहीं मिल रही है। पीड़ित मरीज लगातार फोन कर पैसा जारी करने की मांग कर रहे हैं। उन्हें बजट न होने की बात कह कर वापस भेजा जा रहा है।घातक बीमारी कैंसर, लकवा, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, हीमोफीलिया, 50 फीसदी से ज्यादा विकलांग, थैलेसीमिया से पीड़ित और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को हर महीने 3000 रुपये आर्थिक सहायता मिलती है। विधानसभा में भी कई बार आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का यह मामला उठाया गया है। हिमकेयर योजना के तहत भी अस्पतालों में मरीजों का उपचार नहीं हो रहा है।
सरकार ने क्रोनिक रीनल फेल्योर या किसी अन्य बीमारी से पीड़ित मरीज, जो व्यक्ति को स्थायी रूप से अक्षम बना देती है, को भी इस योजना के अंतर्गत शामिल किया गया है। सहारा योजना का मुख्य उद्देश्य घातक बीमारियों से पीड़ित मरीजों को सामाजिक सुरक्षा उपाय के रूप में वित्तीय सहायता देना है ताकि लंबे समय तक इलाज के दौरान होने वाली कठिनाइयों को कुछ हद तक कम किया जा सके। सरकार की ओर से यह पैसा इसलिए जारी किया जाता है ताकि मरीज अपनी दवाइयों का खर्चा स्वयं वहन कर सके।
स्वास्थ्य सचिव एम सुधा से जब फोन पर संपर्क किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल से भी जब इस बारे में बात करनी चाहिए तो वह भी व्यस्त बताए गए।
केस स्टडी -1
शिमला के कुफरी के लाल सिंह ने बताया कि तीन महीने से सहारा योजना के तहत मिलनी वाली 3000 रुपये की आर्थिक सहायता नहीं मिल रही है। इन्होंने कहा कि 01772629802 नंबर पर डायल किया जाता है तो तीन महीने से एक ही बात कही जा रही है कि सरकार की ओर से बजट जारी नहीं हुआ है।
केस -2
मंडी की अंजली ठाकुर पैरा स्पोर्ट्स चैंपियन हैं। अंजली मुख्यमंत्री के हाथों से सम्मानित भी हो चुकी हैं। नवंबर महीने से उन्हें आर्थिक सहायता नहीं मिल रही है। बार-बार वs परिजनों के साथ कार्यालय के चक्कर काट रही हैं। इसके बावजूद उन्हें आश्वासन ही दिया जा रहा है।
केस -3
सिरमौर जिले के मनवा गांव की कौशल्या देवी दिव्यांग हैं। उन्होंने कहा कि सहारा योजना के तहत 3 महीने से राशि जारी नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि पिता नहीं हैं। पति ने भी छोड़ दिया है। आर्थिक सहायता का सहारा था, अब वह भी नहीं मिल रही है।





