हिमाचल विधानसभा: नगर निकाय क्षेत्र में यूजर चार्ज नहीं दिए तो संपत्ति कर के साथ होगी वसूली, विधेयक पारित

हिमाचल प्रदेश में अगर नगर निकाय क्षेत्र में यूजर चार्ज नहीं दिए तो इन्हें पिछले साल के संपत्ति कर के एरियर के साथ वसूल किया जाएगा। यह प्रावधान राज्य विधानसभा में वीरवार को पारित हिमाचल प्रदेश नगरपालिका द्वितीय संशोधन विधेयक 2025 में किया गया है। 1994 के अधिनियम में संशोधन करते हुए यह प्रावधान किया गया है। विधेयक सदन में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।

यह भी प्रावधान किया है कि नगर निगम बनने से नगर परिषद की मौजूदा अवधि पर असर नहीं होगा। यदि किसी नगरपालिका क्षेत्र का कोई भाग कार्यकाल के दौरान नगर निगम क्षेत्र घोषित होता है तो नगर परिषद के सदस्यों की अवधि इसकी समाप्ति या विघटन तक कायम रहेगी। हालांकि, धारा – 24 में नया प्रावधान जोड़ा गया है कि उपायुक्त को अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के इस्तीफे को पंद्रह दिन के भीतर स्वीकार करना अनिवार्य होगा। नगर निकायों के सभी अभिलेखों के ऑडिट का काम राज्य लेखा परीक्षा विभाग को दिया गया है।

अधिकांश धाराओं में जुर्माना राशि में भी बढ़ोतरी की गई है। विधेयक में 30 से अधिक धाराओं में संशोधन करते हुए जुर्माना राशि बढ़ाई गई है। पूर्व में जहां जुर्माना 200, 500, 1,000 और 2,000 था, उसे बढ़ाकर 1,000 से 5,000 रुपये तक किया गया है। कई अपराधों में दिन-प्रतिदिन लगने वाले अतिरिक्त जुर्माने को भी 50 या 100 से बढ़ाकर 500 रुपये प्रतिदिन करने का प्रावधान किया गया है। अवैध निर्माण, अवैध गतिविधियों और नगर निगमों के उल्लंघन पर अब कड़ी दंडात्मक कार्रवाई होगी। इसके जुर्माने में बढ़ोतरी की गई है। कई धाराओं में न्यूनतम जुर्माना भी निर्धारित किया गया है। कुछ प्रावधानों में जहां पहले न्यूनतम जुर्माना तय नहीं था, वहां अब न्यूनतम 2,000 और अधिकतम 5,000 तक का प्रावधान जोड़ा गया है। कुछ मामलों में कारावास की अवधि छह माह से बढ़ाकर एक साल की गई है।

पानी के स्रोत के पास गंदगी फैलाई तो 5000 तक जुर्माना
नगर निकाय क्षेत्र में अगर कोई व्यक्ति गंदगी या कूड़ा-कर्कट किसी चश्मे, कुएं, तालाब, जलाशय या अन्य स्रोत के पचास फीट के भीतर डालेगा तो उसे न्यूनतम दो हजार और अधिकतम पांच हजार जुर्माना देना होगा। नोटिस देने के बाद भी कूड़ा नहीं हटाया तो पांच सौ रुपये अतिरिक्त जुर्माना देना होगा। यदि कोई नगरपालिका की अनुमति के बिना ऐसे स्थान पर जो कब्रिस्तान या श्मशान नहीं है, वहां शव दफनाता या जलाता है तो कम से कम 2000 रुपये और अधिकतम 5000 रुपये का जुर्माना लगेगा। नगरपालिका की अनुमति के बगैर किसी भी सार्वजनिक स्थान पर चर्बी पिघलाना, कच्चा चमड़ा साफ करना, हड्डियां, मांस उबालने जैसे काम नहीं किए जा सकेंगे। चिह्नित परिसरों से भिन्न स्थानों में सिनेमैटोग्राफ और नाट्य अभिनयों के लिए अनुमति नहीं ली तो भी पांच हजार तक जुर्माना लगेगा। ईंटों के भट्ठे, पेट्रोल, जलने वाले तेल, स्पिरिट के लिए भंडार नहीं बनाए जा सकेंगे। नए कारखाने या कर्मशाला स्थापना की अनुमति न लेने पर भी जुर्माना बढ़ाया गया है।

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