51 दिन की सुक्खू सरकार अपनी कथनी और करनी में नहीं बैठा पा रही तालमेल

#खबर अभी अभी शिमला ब्यूरो*

1 फरवरी 2023

 

हिमाचल प्रदेश में महंगाई को मुद्दा बनाकर व हर वर्ग में कई उम्मीदें जगाकर सत्ता में आई कांग्रेस ने सुख की सरकार का नारा तो दिया, पर न महंगाई थमी और न धरातल पर कोई वादा उतरा। सही सलाहकारों के न होने और अनुभहीनता के कारण करीब 51 दिन की सुक्खू सरकार अपनी कथनी और करनी में तालमेल नहीं बैठा पा रही। पुरानी सरकार के 600 से ज्यादा सरकारी संस्थानों को डिनोटिफाई करने पर भी कई जगह लोग एतराज जता रहे हैं। सत्ता में आते ही राज्य सरकार ने वैट बढ़ाकर डीजल के रेट बढ़ा दिए। इसका आम जनता पर बोझ पड़ा। जिस मनरेगा को कांग्रेस यूपीए सरकार की योजना बताकर इतराती रही, उसमें भी गरीबों को रोजगार नहीं मिल रहा और लोग विरोध के लिए सड़कों पर उतर आए हैं। कांग्रेस सरकार को अपनी पहली गारंटी पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) देने में अभी वक्त लगेगा, जबकि इसे सरकार में आते ही तत्काल लागू करने की बात की गई थी।

नई सरकार में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू और उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने 11 दिसंबर को शपथ ली थी। कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले वादा किया था कि पहली कैबिनेट बैठक में सरकारी कर्मचारियों के लिए ओपीएस लागू करेंगे। पहले तो कैबिनेट विस्तार ही लंबा खिंचता गया। उसके बाद कैबिनेट बनी तो फिर 13 जनवरी को कैबिनेट की पहली बैठक हुई। उसमें ओपीएस को तत्काल लागू करने की मंजूरी दे दी। इसके बावजूद 1 फरवरी को मिलने वाली पेंशन पुराने ढर्रे पर ही दी जा रही है। नए सेवानिवृत्तों को अभी ओपीएस का लाभ लेने के लिए इंतजार करना होगा। ओपीएस के लिए बजट का प्रबंध सरकार को डीजल के रेट बढ़ाकर करना पड़ा। यानी तीन प्रतिशत वैट बढ़ा दिया गया

#खबर अभी अभी शिमला ब्यूरो*

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