
#खबर अभी अभी शिमला ब्यूरो*
27 फरवरी 2023
प्रकाश झा बॉलीवुड के सफल फिल्म निर्माताओं में से एक हैं। उनका जन्म 27 फरवरी 1952 को बिहार के चंपारण में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई सैनिक स्कूल तिलैया से की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज से पढ़ाई की। प्रकाश अपनी शानदार फिल्मों के लिए जाने जाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सफल निर्माता बन चुके प्रकाश कभी पेंटर बनने का सपना देखते थे। फिर, वह कैसे अपने सपने को पीछे छोड़ आगे कैसे बढ़े? प्रकाश आज अपना 71वां जन्मदिन मना रहे हैं। इस मौके पर जानते हैं उसने जुड़ा यह दिलचस्प किस्सा

फिल्म निर्माता प्रकाश झा ने इंटरव्यू के दौरान अपने सपने के बारे में खुलासा किया था। उन्होंने बताया था कि जिस समय लोग आईएएस और आईपीएस बनने का सपना देखते हैं, उस समय वह पेंटर बनना चाहते थे। वह कैमरा खरीदकर और 300 रुपये लेकर घर से निकल पड़े। यह बात उनके परिवार को पसंद नहीं थी। ऐसे में जब उन्होंने घर छोड़ा तो घर के साथ उनके रिश्ते भी पीछे छूट गए। परिवार के साथ प्रकाश के रिश्ते इस कदर खराब हुए कि पांच साल तक पिता ने उनसे बात तक नहीं की।
पेंटर बनने का सपना लिए प्रकाश मुंबई आ गए और उन्होंने जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स में दाखिला लिया। यहां वह अपने पेंटर बनने के सपने की ओर आगे बढ़ रहे थे, तभी उन्होंने मुंबई में एक फिल्म की शूटिंग देखी। उन्हें वह इतनी अच्छी लगी कि उसी वक्त उन्होंने पेंटर बनने का सपना छोड़कर निर्देशक बनने का सपना आंखों में बसा लिया।
साल 1973 में ‘धर्मा’ फिल्म की शूटिंग देखने के बाद उन्होंने फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पुणे में दाखिला लिया। यहां उन्होंने फिल्म निर्माण की बारीकियों को सीखा। इसके बाद साल 1984 में उन्होंने हिंदी सिनेमा में बतौर निर्देशक डेब्यू किया और अपनी पहली फिल्म ‘हिप हिप हुर्रे’ का निर्देशन किया। यह फिल्म बंधुआ मजदूर पर आधारित थी। अपनी पहली फिल्म के लिए ही प्रकाश को नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। हिंदी सिनेमा को उन्होंने कई हिट फिल्में दीं।
कभी पाई पाई के मोहताज रहे प्रकाश आज हिंदी सिनेमा के सफल फिल्म निर्माता हैं। यह सब उन्हें इतनी आसानी से नहीं मिला, बल्कि इसके लिए उन्होंने कड़ा संघर्ष किया। जब 300 रुपये लेकर वह घर से निकले थे, तब उनके पास न किराए के पैसे थे और न ही खाने के। संघर्ष भरे दिनों में उन्होंने कई रातें जुहू बीच के फुटपाथ पर गुजारीं। फिल्म निर्माण के साथ-साथ उन्होंने वेब सीरीज में भी हाथ आजमाया। उन्होंने ‘आश्रम’ वेब सीरीज का निर्देशन किया। यह सुपरहिट साबित हुई और दर्शकों ने इसे खूब पसंद किया।
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