# सफेद मोतिया से धुंधला रहीं आंखें, बढ़ गए मामले |

खबर अभी अभी ब्यूरो सोलन

अस्पताल की नेत्र रोग ल कॉलेज एवं अस्पताल हमीरपुर में सफेद मोतिया के मामलों में इजाफा हो रहा ओपीडी में रोजाना 150 के करीब मरीज आते हैं। इनमें से 10 से 20 मरीज सफेद मोतिया के आ रहे हैं। वहीं, 30 फीसदी मरीज नजदीक चश्मे के नंबर, अन्य 30 फीसदी मरीज दूर के चश्मे के नंबर, 10 फीसदी सफेद मोतिया, 10 फीसदी झिल्ली, दो फीसदी काला मोतिया, एक फीसदी टेढ़ी आंख, दो फीसदी इन्फेक्शन और अन्य चोट आदि के मरीज होते हैं। पूर्व में अस्पताल में सफेद मोतिया के 10 से 12 मरीज ही आते थे। अब यह आंकड़ा औसतन 20 तक पहुंच चुका है। जब लेंस धुंधला हो जाता है तो लाइट लेंसों से स्पष्ट रूप से गुजर नहीं पाती। इससे जो इमेज देखते हैं वह धुंधली हो जाती है।

इससे दृष्टि के बाधित होने को सफेद मोतिया कहते हैं। सफेद मोतियाबिंद से पीड़ित लोगों को पढ़ने, नजर का काम करने, कार चलाने (विशेषकर रात के समय) में समस्या आती है। सफेद मोतिया आयु बढ़ने के साथ-साथ, मधुमेह, अत्यधिक मात्रा में शराब का सेवन, सूर्य के प्रकाश का अत्यधिक एक्सपोजर मोतियाबिंद का पारिवारिक इतिहास, उच्च रक्तदाब, मोटापा, आंखों में चोट लगना या सूजन, पहले हुई आंखों की सर्जरी, धूम्रपान आदि के कारण सफेद मोतिया होता है। सफेद मोतिया से बचाव के लिए लोगों को नियमित रूप से आंखों की जांच करवानी चाहिए। सूरज की पराबैंगनी किरणें मोतियाबिंद विकसित करने में सहायता कर सकती हैं। जब भी बाहर धूप में निकलें तो चश्मा लगाना चाहिए। अगर मधुमेह या अन्य कोई समस्या है तो उनका उचित उपचार कराना चाहिए। मोटापे को कम करना चाहिए। हरी सब्जियों को अपने भोजन में शामिल करना चाहिए। धूम्रपान और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।

इस बारे में डॉ. राधाकृष्णन मेडिकल कॉलेज के एमएस डॉ. अनिल वर्मा ने कहा कि सफेद मोतिया बढ़ता जा रहा है। समय पर उपचार से इससे बचा जा सकता है। इसलिए लक्षण सामने आने पर तुरंत विशेषज्ञ चिकित्सक से इलाज करवाएं।

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