
#खबर अभी अभी शिमला ब्यूरो*
21 सितंबर 2023
150 से 200 मीटर लंबे और 40-50 फीट ऊंचे डंगे भी मनरेगा के तहत लगाने का सरकार का निर्णय बहुत ही अव्यावहारिक है। यह मदद के नाम पर प्रभावितों के साथ धोखा है। यह बात पूर्व जिला परिषद सदस्य भूपेंद्र सिंह ने कही। उन्होंने कहा कि पिपली-भराड़ी ग्राम पंचायत की रीढ़ी बस्ती के एक दर्जन परिवारों के घर चारों तरफ भूस्खलन से घिरे हुए हैं। उन्होंने बताया कि इस बस्ती में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है और लोगों को अपना मकान सुरक्षित करने के लिए 15-15 हजार रुपये तो तिरपाल खरीदने के लिए खर्च करने पड़े हैं। लेकिन अब सरकार के नियम का हवाला देते हुए राजस्व विभाग ने इन सभी घरों को न तो असुरक्षित घोषित किया है और न ही कोई सहायता प्रदान करने के लिए चयनित किया है। भूपेंद्र सिंह ने बताया कि मिलखी राम, जयपाल, मुंशी राम, बलबंत, कमलकांत, राजेंद्र, राजेश वर्मा, मीना वर्मा, नरेश कुमार, राजपाल और दिनेश कुमार आदि के घरों के आसपास बहुत ज्यादा और बड़े पैमाने पर भूस्खलन हुआ है।हालांकि विधायक और अन्य जनप्रतिनिधियों ने यहां पर दौरे करके रस्मअदायगी कर दी है, लेकिन इन घरों के आसपास लगने वाले डंगों पर 10 से 15 लाख रुपये खर्च होंगे
क्योंकि इनकी लंबाई और ऊंचाई 150-200 मीटर से लेकर 50 फीट तक है। भूपेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि जयपाल का तीन कमरों का दो मंजिला कच्चा मकान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है, लेकिन पटवारी ने इसे गलत तरीके से गैर रिहायशी दर्शाया है। किसी भी प्रकार की सहायता से वंचित बना दिया है। हालांकि, इस संबंध में विधायक चंद्रशेखर को भी अवगत करवाया गया था कि पटवारी ने गलत रिपोर्ट तैयार की है लेकिन इसे दुरुस्त नहीं किया गया। ये पूरा क्षेत्र असुरक्षित हो गया है और लोगों ने लाखों रुपये खर्च करके मकान बनाए हैं लेकिन अब वे यहां रहने से घबरा रहे हैं। दूसरी तरफ यहां के लिए बनी संपर्क सड़क और रास्ते पूरी तरह टूट गए हैं लेकिन इन्हें ठीक करने में ग्राम पंचायत कोई कदम नहीं उठा रहा है। अभी तक मदद के तौर पर एक छोटा सा तिरपाल ही दिया गया है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस प्रकार के घरों के आसपास डंगे मनरेगा के बजाय दूसरी मद्दों से स्वीकृत किए जाएं। उन्होंने रीढ़ी बस्ती में हुए नुकसान की भरपाई के लिए नियमों में तुरंत बदलाव करने और सभी घरों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने की मांग उठाई।
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