शिमला की लीड से सोलन-सिरमौर के प्रत्याशी लांघ सकेंगे जीत की दहलीज

Lok Sabha Election 2024: With the lead of Shimla, Solan-Sirmour candidates will be able to cross the threshold

शिमला संसदीय सीट के रण में उतरे भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी को जीत की दहलीज लांघने के लिए शिमला जिला से लीड लेनी होगी। भाजपा ने पांच विधानसभा क्षेत्रों वाले जिला सिरमौर से वर्तमान सांसद सुरेश कश्यप को प्रत्याशी बनाया है। पांच विधानसभा सीटों वाले ही सोलन जिला से कांग्रेस ने मौजूद विधायक विनोद सुल्तानपुरी पर दांव खेला है। ऐसे में अपने-अपने गृह जिला के मतों के अलावा शिमला जिला की सात सीटों में बढ़त लेने वाले पार्टी प्रत्याशी के लिए ही दिल्ली पहुंचने की राह आसान होगी।  भाजपा जहां जीत का चौका मारने की कोशिश करेगी वहीं कांग्रेस के पांच मंत्रियों, तीन सीपीएस पर अपने खो चुके गढ़ को वापस लेने का दारोमदार है।

शिमला सीट से लगातार तीन चुनावों से भाजपा जीत दर्ज कर रही है। वर्तमान सांसद सुरेश कश्यप ने वर्ष 2019 में चुनाव जीता था। इनसे पहले वीरेंद्र कश्यप 2009 और 2014 में शिमला से जीते थे। वर्ष 1998 तक हुए लोकसभा चुनावों में शिमला सीट कांग्रेस का गढ़ रही है। कांग्रेस के वर्तमान प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी के पिता दिवंगत केडी सुल्तानपुरी के नाम लगातार छह चुनाव जीतने का रिकॉर्ड है। अब वर्तमान की सुक्खू सरकार में शिमला संसदीय सीट से हर्षवर्धन चौहान, डॉ. धनीराम शांडिल, रोहित ठाकुर, अनिरुद्ध सिंह और विक्रमादित्य सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।तीन मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी, रामकुमार, मोहनलाल ब्राक्टा और विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार भी इसी सीट के तहत आते हैं। ऐसे में लोकसभा चुनाव के दौरान इनकी भी परीक्षा होगी। 15 माह पहले विधानसभा चुनाव जीत कर विधायक बने इन नेताओं को लोकसभा चुनाव में भी अपनी लोकप्रियता को बरकरार रखना होगा। इन सभी नेताओं के पास शिमला सीट से सरकार में बहुत अधिक नियुक्तियां होने को लेकर लगने वाले आरोपों को अपने-अपने क्षेत्रों से लीड दिलाकर झुठलाने का मौका भी है। अगर यह ऐसा नहीं कर पाते हैं तो कांग्रेस के भीतर ही इनके खिलाफ दोबारा सेआवाज बुलंद होना शुरू हो सकता है लोकसभा चुनाव के दौरान जिला शिमला की सात सीटों में जिस भी पार्टी प्रत्याशी का बेहतर प्रदर्शन रहेगा, उसके लिए जीत की राह आसान होगी। दोनों प्रत्याशियों ने अपने-अपने गृह जिलों में अधिक मत प्राप्त करने के लिए ताकत झोंकना शुरू कर दिया है। भाजपा के सुरेश कश्यप इन दिनों जिला सिरमौर और कांग्रेस के विनोद सुल्तानपुरी जिला सोलन में प्रचार को धार दे रहे हैं। शिमला जिला में बढ़त लेने का जिम्मा प्रत्याशियों के अलावा दोनों दलों के बड़े नेताओं पर भी रहेगा।
17 सीटों में से भाजपा के सिर्फ तीन विधायक
शिमला संसदीय क्षेत्र की 17 सीटों में से भाजपा के तीन विधायक चौपाल से बलवीर वर्मा, पच्छाद से रीना कश्यप और पांवटा साहिब से सुखराम चौधरी हैं। 13 विधायक कांग्रेस के हैं। इसमें से नौ के पास कैबिनेट रैंक का दर्जा है। ठियोग से कांग्रेस विधायक कुलदीप सिंह राठौर पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। इनके अलावा शिमला से हरीश जनारथा, नाहन से अजय सोलंकी और कसौली से पार्टी प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी विधायक हैं। नालागढ़ से निर्दलीय विधायक केएल ठाकुर के इस्तीफे का मामला विधानसभा अध्यक्ष के पास विचाराधीन है।
सेब बहुल क्षेत्रों के लिए सिर्फ जुमले कहे, किया कुछ नहीं : रोहित
केंद्र ने हिमाचल विशेषकर शिमला सीट की अनदेखी की है। प्रधानमंत्री ने चुनावी भाषणों में सेब बहुल क्षेत्रों के लिए सिर्फ जुमले ही कहे। सेब को विशेष श्रेणी में करने, आयात शुल्क को तीन गुणा करने की बात कही थी लेकिन दस साल में किया कुछ नहीं। विदेशी सेब आने से बागवानों को भारी नुकसान हो रहा है। भाजपा के वर्तमान सांसद सुरेश कश्यप का कार्यकाल निराशाजनक रहा है। सांसद 2019 में हुए चुनाव के बाद लौटकर लोगों के बीच नहीं आए। – रोहित ठाकुर, कांग्रेस के शिमला संसदीय क्षेत्र के चुनाव प्रभारी
भाजपा को अपने काम के दम पर मिलते हैं वोट : सुखराम
भाजपा ने हिमाचल व शिमला संसदीय क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास और जनकल्याण के कार्य किए हैं। हमारे सांसद ने हर पंचायत तक केंद्रीय योजनाओं का लाभ पहुंचाया है। रेणुका बांध, सुन्नी बांध, स्मार्ट सिटी, फोरलेन, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, आयुष्मान, हिम केयर, उज्ज्वला योजना, रेल योजना, स्टार्टअप फंड का बड़ा योगदान इस संसदीय क्षेत्र में रहा है। भाजपा को चुनावों में अपने काम के दम पर ही जनता के वोट मिलते हैं। -सुखराम चौधरी, भाजपा के शिमला संसदीय क्षेत्र के चुनाव प्रभारी 
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