
#खबर अभी अभी बददी ब्यूरो*
5 नवंबर 2024
पुलिस जिला बददी की औद्योगिक महिला वर्करों की सुरक्षा को और ज्यादा सशक्त बनाने के लिए नई रणनीति तय की है। अब पुलिस के अधिकारी सादे कपड़ों में औद्योगिक क्षेत्रों में शाम को शिफट समाप्ति के बाद बात कर उनकी समस्याओं को जानंगे। इसकी शुरुआत बददी की तेर्जतर्रार महिला एस.पी कुमारी इल्मा अफरोज ने ग्राम पंचायत मलपुर के मलकूमाजरा रोड से की है। इस मुहिम का एकमात्र उदेश्य है की एशिया के सबसे बडे औद्योगिक हब बददी बरोटीवाला नालागढ़ मानपुरा व झाडमाजरी में महिलाओं की सुरक्षा को और ज्यादा सुनिश्चित किया जाए।
इस मुहिम की कमान एस.पी. बददी ने अपने हाथों में लेकर करने का निर्णय लिया और मोरपेन रोड से इसकी शुरुआत की जाएगी। एस.पी ने यह काम डयूटी समय के बाद करने का निर्णय लिया है जब अधिकांश अफसरशाही घरों में आराम फरमा रही होती है। इस योजना के तहत जैसे ही शाम 7 बजे इंडस्ट्रियल एरिया के कारखानों में शिफट समाप्त होती है और महिला कामगार अपने घरों को जाती है तो उनसे एस.पी खुद जाकर संवाद करेंगी।
संवाद का मकसद सिर्फ यह जानना है कि जब वो पैदल अपने घरों को जाती है तो रास्ते में उनको कोई दिक्कत तक नहीं आती। महिलाएं कामगार अपने आवागमन को लेकर स्वयं को कितनी सुरक्षित महसूस करती है। गौरतलब है कि बीबीएन में पडोसी राज्यों के साथ साथ पूरे भारत की महिलाएं व युवतियां भारी संख्या में कार्य करती है लेकिन अपने अधिकारों को लेकर जागरुक नहीं है।
इन औद्योगिक क्षेत्रो में होगा संवाद-
एस.पी ने प्रेस वार्ता में बताया कि अपने प्रथम चरण में मोरपैन रोड, लोदीमाजरा व मानपुरा से उसकी शुुरुआत करेंगी। कभी वर्दी में तो कभी सादे वस्त्रों में 7 बजे के बाद महिला वर्करों से बातचीत की जाएगी जब वो शिफट के बाद अपने घरों को प्रस्थान कर रही होती है। महिलाएं एसपी को अपने दिल की बात खुलकर बात भी कर सकेंगी। गौरतलब है कि एसपी ने बददी में हर कालोनी में जाकर संवाद कर रही है लेकिन औद्योगिक महिलाएं उसमें शामिल नहीं हो पाती क्योंकि उनकी शिफट 7 बजे समाप्त होती है और सुबह 8 बजे शिफट शुरु हो जाती है।
इल्मा अफरोज ने बताया कि सुरक्षा की भावना को और ज्यादा प्रबल बनाने तथा महिलाओं की समस्याएं जानने का इससे अच्छा मौका नहीं हो सकता। अगर मेरे विभाग से संबधित कोई चीज आएगी तो उसको तुरंत हल किया जाएगा और अगर प्रशासनिक स्तर का मसल होगा तो सरकार को भेज दिया जाएगा।
यह आती है दिक्कतें-
जब भी महिला कामगार कंपनी से रात्रि शिफट समाप्त करके निकलती है तो अधिकांश कंपनियों के पास अपना व्हीकल नहीं होता जिससे उनको पैदल ही घरों को जाना पडता है। बस पकडने के लिए अपनी कंपनी से 2 या तीन किमी पैदल जाना पडता है। न तो महिलाओं को आवागमन के लिए कोई मुद्रिका बस का प्रावधान सरकार ने किया है और न ही उनके रास्तों पर स्ट्रीट लाईटो को प्रावधान होता है उनको अंधेरे में डूबे इंडस्ट्रियल एरिया की राहें नापनी पड़ती है।





