कर्मचारियों के स्थानांतरण से संबंधित कार्यालय आदेश से जुड़ा मामले की सुनवाई,हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सेली कंपनी का अपफ्रंट प्रीमियम जमा न करने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच रिपोर्ट रिकॉर्ड

खबर अभी अभी ब्यूरो

शिमला

कर्मचारियों के स्थानांतरण से संबंधित कार्यालय आदेश से जुड़ा मामला सुनवाई के लिए न्यायाधीश तरलोक सिंह सिंह चौहान और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की अदालत में लगा।हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से 13 फरवरी 2025 को जारी कर्मचारियों के स्थानांतरण से संबंधित कार्यालय आदेश से जुड़ा मामला सुनवाई के लिए न्यायाधीश तरलोक सिंह सिंह चौहान और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की अदालत में लगा। मामले की सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने इस मामले को एकल पीठ को भेजा है। सोमवार को अब इस मामले की सुनवाई एकल पीठ करेगी। याचिकाकर्ता ने पहले अपनी सेवाएं दुर्गम क्षेत्र में दीं और अब फिर से उसी क्षेत्र में उसका स्थानांतरण किया गया है। इसी आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है। लेकिन सरकार की ओर से 2013 की नीति में पैरा 22 ए को जोड़ा गया है।इसके तहत स्थानांतरित कर्मचारी को पहले जारी आदेश की अनुपालना करनी होगी। कर्मचारी का जिस स्थान पर स्थानांतरण किया गया है, वहां निर्धारित समय के अंदर कार्यभार ग्रहण करे। अगर कर्मचारी को लगे कि उसका तबादला गलत तरीके से किया गया है तो वो इसकी शिकायत विभाग के अधिकारी को दे। अधिकारी इस पर 30 दिनों के के भीतर निपटारा करें। इस आदेश के तहत स्थानांतरित कर्मचारी तबादले के खिलाफ सीधे न्यायालय में याचिका दायर नहीं कर सकते। हाईकोर्ट में इससे पहले भी एक मामला न्यायाधीश ज्योत्सना रेवाल दुआ की अदालत में लगा था। लेकिन उस याचिका में कर्मचारी इस आदेश से प्रभावित नहीं था। लेकिन न्यायाधीश दुआ की पीठ ने इस प्रश्न को खुला छोड़ा था।दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लाएं हाईकोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सेली कंपनी का अपफ्रंट प्रीमियम जमा न करने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच रिपोर्ट रिकॉर्ड पर लाने को कहा है। अदालत के आदेशों के बाद सरकार की ओर से समय पर कंपनी का अपफ्रंट प्रीमियम जमा न करने पर न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की पीठ ने दिल्ली में स्थित हिमाचल भवन को अटैच करने के आदेश दे दिए थे। अदालत ने इस मामले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए थे, जिसकी वजह से सरकार को अतिरिक्त पैसा जमा करना पड़ा था। अगर अपफ्रंट प्रीमियम के पैसे समय पर जमा कर दिए होते, तो सरकार को अतिरिक्त पैसा जमा न करना पड़ता। सरकार ने पिछली सुनवाई के दौरान अदालत में रिपोर्ट पेश की थी। लेकिन रिकॉर्ड पर न आने की वजह से सरकार ने इस मामले में कुछ समय मांगा। अब इस मामले की सुनवाई 24 मार्च को होगी।

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