

पूरी सुविधाएं देने दावे के बाद भी 10वीं कक्षा के परिणाम में टॉपर देने में सरकारी स्कूल पिछड़ गए हैं। 10वीं कक्षा की मेरिट सूची में 117 टॉपरों में मात्र 20 सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी ही अपना स्थान बना पाए हैं। इनमें भी पहले चार रैंकों पर सरकारी स्कूलों का नाम नहीं है। बोर्ड ने 10वीं कक्षा का परीक्षा परिणाम घोषित किया। हर बार की तरह सरकारी स्कूलों ने पूरी तरह से निराश किया है। 10वीं कक्षा के परीक्षा परिणाम में टॉप-10 में 117 विद्यार्थी शामिल हुए हैं, इनमें 88 लड़कियां और 29 लड़के शामिल हैं। दूसरी ओर इस टॉप-10 सूची में सूबे के सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं।
टॉप-10 सूची में से है स्थिति
टॉप-10 सूची पर अगर नजर दौड़ाएं तो पहले चार रैंकों पर किसी भी सरकारी स्कूल का विद्यार्थी अपना नाम दर्ज नहीं करवा पाया है। वहीं 5वें रैंक पर एक, छठे पर दो, 7वें पर एक, जबकि 8वें रैंक को सरकारी स्कूलों के छह विद्यार्थियों ने सूबे के निजी स्कूलों के साथ साझा किया है। इसी तरह 9वें और 10वें रैंक को भी सरकारी स्कूलों के 5-5 विद्यार्थियों ने साझा किया है। उल्लेखनीय है कि सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को हर सुविधा मुहैया करवाने का दावा किया जाता है। स्कूल के बच्चों को जहां वर्दी के लिए पैसे दिए जाते हैं, वहीं उन्हें किताबें शिक्षा विभाग की ओर से मुफ्त में मुहैया करवाई जाती हैं। बावजूद टॉपरों की सूची में सरकारी स्कूल पिछड़ गए हैं।



