पहाड़ी राज्य हिमाचल को ग्रीन स्टेट बनाने के लिए सुक्खू सरकार के दो बड़े कदम

हमीरपुर  :  पहाड़ी राज्य हिमाचल को ग्रीन राज्य बनाने की दिशा में लगातार काम कर रही हिमाचल सरकार ने दो और बड़े कदम आगे बढ़ाए हैं। सोमवार को हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र के तहत बहुतकनीकी संस्थान बड़ू में मुख्यमंत्री ठाकुर सुुखविंदर सिंह सुक्खू ने राजीव गांधी वन संवर्धन योजना व ग्रीन एडॉप्शन योजना का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री यहां वनमित्र संवाद कार्यक्रम के अवसर पर बतौर मुख्यातिथि पहुंचे थे। उन्होंने राजीव गांधी वन संवर्धन योजना के तहत नादौन के दो महिला मंडलों अमलैहड़ व भवड़ां को प्रमाण-पत्र प्रदान किए। ये दोनों महिला मंडल दो-दो हेक्टेयर वन भूमि पर पौधारोपण करेंगे और पांच वर्षों तक इनकी देखभाल भी सुनिश्चित करेंगे। इस योजना के तहत बंजर और क्षतिग्रस्त वन क्षेत्रों में फलदार पौधों का रोपण कर हरित आवरण बढ़ाया जाएगा। इस योजना से महिला मंडलों, युवक मंडलों और स्वयं सहायता समूहों को जोडक़र लोगों को रोजगार और आय के अवसर भी उपलब्ध करवाए जाएंगे। वहीं मुख्यमंत्री ने ग्रीन एडॉप्शन योजना का भी शुभारंभ किया।

पहले चरण में अंबुजा कंपनी 25 हेक्टेयर, अडानी फाउंडेशन 10 हेक्टेयर तथा अल्ट्राटेक 10 हेक्टेयर भूमि पर पौधरोपण कर उनकी देखभाल सुनिश्चित करेंगे, जिसके लिए मुख्यमंत्री ने उन्हें प्रमाणपत्र सौंपे। इस योजना के तहत निजी उद्यम, कंपनियां और गैर सरकारी संगठन बंजर वन भूमि को गोद लेकर पौधारोपण करेंगे। यह योजना पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ कंपनियों को कारपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी निभाने का अवसर भी प्रदान करेगी। इस मौके पर कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने नवनियुक्त वन मित्रों की पासिंग परेड का निरीक्षण किया और उनके साथ संवाद किया। सीएम सुक्खू ने वन मित्रों की हाजिरी के लिए विभाग की एक मोबाइल ऐप का भी शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने बेहतर कार्य करने वाले पालमपुर के ब्लॉक अधिकारी राकेश कुमार व उनकी टीम तथा चंबा के अरण्यपाल अभिलाष दामोदर और उनकी टीम को सम्मानित किया।

वन मित्रों को भविष्य के लिए बंधा गए आस

वन मित्रों से संवाद कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि वन विभाग में फील्ड स्टाफ की कमी थी, जिससे वन संरक्षण में बाधा आ रही थी। इसलिए मेरिट के आधार पर वन मित्रों की नियुक्ति की गई है और इसमें बेटियां नौकरियां प्राप्त करने में आगे निकल गईं। उन्होंने इशारों-इशारों में वनमित्रों से कहा कि आप निश्चिंत रहिए, आपकी भविष्य की नीति पर विचार किया जाएगा। वैसे भी कहा जाता है कि सरकार में एक बार पैर फंस जाए, तो आगे कुछ न कुछ हो ही जाता है। उन्होंने कहा कि वन मित्रों ने वन संरक्षण की जो शपथ ली है, वह केवल औपचारिकता न होकर वनों के प्रति समर्पण, श्रद्धा और जिम्मेदारी का प्रतीक होना चाहिए।

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