
ग्रामीण विकास विभाग में महिला अधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर के जरिये करीब 68 लाख रुपये का सेंक्शन ऑर्डर तैयार करने के मामले में कई कर्मचारी और अधिकारी भी जांच के दायरे में आ गए हैं। आशंका जताई जा रही है कि इसी तरह से कई और मामले भी हो सकते हैं, जिसमें अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर के जरिये कंपनियों या व्यक्ति विशेष को फायदा पहुंचाने की कोशिश की गई है। महिला अधिकारी ने भी अपनी शिकायत में इसको लेकर आशंका जताई है। साथ ही मामले को लेकर संबंधित डीलिंग हैंड समेत अन्य संलिप्त लोगों पर कार्रवाई की मांग की है।
पुलिस गहनता से जांच-पड़ताल में जुट गई है। आने वाले दिनों में ऐसे कई मामलों का खुलासा भी हो सकता है। पुलिस ने विभाग से कुछ दस्तावेज कब्जे में ले लिए गए हैं। संबंधित कागजात मिलने के बाद इनका अध्ययन करने के बाद आगामी मामले में आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। हैरानी इस बात की है कि जिस महिला अधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर करके पूरे गड़बड़झाले को अंजाम दिया गया है, उनका पहले ही विभाग से तबादला हो चुका था।
इस मामले का खुलासा उस समय हुआ, जब विभाग के निदेशक ने संबंधित अधिकारी को इसकी जानकारी दी। महिला अधिकारी ने इस संबंध में थाना केलांग में जीरो एफआईआर करवाई है। अपनी शिकायत में लाहौल स्पीति के केलांग में एडीसी टू डीसी एवं एसडीएम लाहौल कल्याणी गुप्ता ने बताया कि इससे पूर्व वह जून 2022 से 5 जुलाई 2025 तक ग्रामीण विकास निदेशालय शिमला में बतौर डिप्टी सीईओ (एचपीएसआरएलएम) के पद पर तैनात थीं। 27 सितंबर को उन्हें पता चला कि एक सरकारी दस्तावेज (सेंक्शन आर्डर) पर उनके हस्ताक्षर पाए गए हैं। इसकी तिथि सितंबर 2025 की है, जबकि वह इस समय अवधि में विभाग में सेवाएं ही नहीं दे रही थीं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह दस्तावेज फर्जी तरीके से तैयार किए गए हैं। इसमें एक कंपनी के नाम पर 68,31,200 रुपये का सेंक्शन ऑर्डर रिसीव करवाया गया है।





