हिमाचल: रिकॉर्ड 24 घंटे में बीआरओ ने 16,500 फीट ऊंचे बारालाचा दर्रे से हटाई बर्फ, फंसे सैलानी किए रेस्क्यू

माइनस 10 डिग्री तापमान भी सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के जज्बे को पस्त नहीं कर सका। लगातार गिरती बर्फ के बावजूद बीआरओ के 70 आरसीसी के जवानों ने सिर्फ 24 घंटे के भीतर 16,500 फीट ऊंचे बारालाचा दर्रे से बर्फ हटाकर मनाली-लेह सामरिक मार्ग को बहाल कर दिया है।

24 घंटे में बीआरओ ने दारचा से किलिंग सराय तक करीब 100 किलोमीटर मार्ग से बर्फ हटाई। बर्फ हटने के बाद अब बारालाचा दर्रे की दोनों ओर फंसे 500 से अधिक वाहन सुरक्षित रूप से अपने गंतव्य की ओर रवाना हो गए हैं। इस मिशन की अगुवाई 70 आरसीसी के ओसी लेफ्टिनेंट कर्नल तेजस मोरे ने खुद फील्ड में रहकर की। सात और आठ अक्तूबर को हुई अचानक बर्फबारी से मनाली-लेह सामरिक मार्ग बंद हो गया, जिस कारण सैकड़ों वाहन और यात्री सरचू समेत लाहौल के कई हिस्सों में फंस गए। ऐसे में बीआरओ ने बर्फबारी के बीच मिशन स्नो क्लीयरेंस शुरू किया। समुद्र तल से 16,500 फीट की ऊंचाई पर शून्य से नीचे दस डिग्री तापमान में मशीनों ने कई बार जवाब दे दिया, लेकिन जवानों ने हाथों में बेलचे उठाकर बर्फ हटाकर मार्ग को बहाल किया।

435 किलोमीटर लंबा मनाली-लेह मार्ग दुनिया की सबसे कठिन सड़कों में शुमार है। इस मार्ग पर समुद्रतल से 16,000 से लेकर 18,000 फीट तक ऊंचे बारालाचा, लाचुंग और तंगलंग जैसे दर्रे आते हैं, जहां सर्दियों में पांच से 18 फीट तक बर्फबारी आम बात है। बीआरओ का दीपक प्रोजेक्ट इस मार्ग की देखरेख करता है।
सामरिक दृष्टि से अहम है सड़क
यह मार्ग भारतीय सेना के लिए रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम है, क्योंकि लद्दाख और कारगिल के सीमावर्ती इलाकों तक रसद और सैनिक सामग्री पहुंचाने का यही मुख्य रास्ता है। कारगिल युद्ध के दौरान भी यही सड़क भारतीय सेना के लिए मददगार साबित हुई थी। लाहौल-स्पीति की विधायक अनुराधा राणा ने बीआरओ के प्रयासों की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि बीआरओ असंभव को संभव बनाने का दूसरा नाम है।

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